Wednesday, December 28, 2011

कैसी ये जुदाई है .....

जो दिल डूबे 
उदासी में |
आँसू छुटे, 
आँखों से |
पर प्यार 
छुट ना पाये |

जो गहरी सांसे 
मैं ले लू .....
उनकी यादों में |
उनका हाथ ,
ना हो ....
हाथो में |

पर उनका साथ 
ना होते हुए भी 
कुछ देर तो ,
उन्हें पालू |

यूँ तड़पते हुए 
तो कोई मजा 
नहीं आता |

पर इस सजा का 
शबब कुछ समझ 
भी नहीं आता |

Tuesday, December 27, 2011

जब मेरा प्यार, सिर्फ उम्मीदे देता है....

जो नाम लेती रहूँ -- तुम्हारा 
पता नहीं कब शाम हो जाये |
दूरियाँ  बढती ही जाये ...
पर प्यार कम ना हो पाये |

जो मांगू कुछ भगवान से 
तो मांगू सिर्फ प्यार तुम्हारा |
जो हर दिन के साथ 
नयी सुबह लाये ...
और हमारी उम्र के साथ ...
बढता ही चला जाये |

अब तो मेरी ...
ये सिर्फ चाहत है |
की तेरी हर ख़ुशी 
मेरी ख़ुशी हो ....
और तेरा हर गम 
सिर्फ मेरा गम  |

यूँ दूर रहना 
अब तो मुझसे 
सहा नहीं जाता |
जो तुम साथ होते हो , 
तब भी मुझे चैन नहीं आता |

ये अकेलापन ही मुझे ...
हर-पल बेचैन कर जाता है |
जब मेरा प्यार, सिर्फ उम्मीदे देता है ,
और अपना कहा पूरा नहीं कर पाता है |

Monday, December 26, 2011

उनकी गली में... दिल खो गया

जो गई मैं 
उनकी गली 
बनकर एक 
मनचली |

मुझे पता ही नहीं
मुझे ये .....
क्या हो गया ??
उनकी गली में
दिल खो गया |

प्यार के रस्ते
चलते-चलते
जाने मैंने कैसी
फिसलन पाई |
फिसली मैं ...
और मेरे दिल की
हालत बिंदिया सी
हो आई |

पल भर के लिए
खुभ चमकी ,
फिर ना जाने
कहा भूल आयी |

हमे पता है ,
किसने छुपा रखा है ,
उसे |
पर अब हम
वापस नहीं
मांगना चाहते है ,
इसे |

Saturday, December 24, 2011

प्रित निभाना जो हम सीखे ???

जो शीतल पवन ही अगन लगाये 
तो ये मन अपने मित को ही बुलाये |
कोई कहे धुन इसे, कोई संगीत बताये |
पर कोई मेरी, करुण पुकार ...
की विरहा को समझ नहीं पाये |
उनके लोट आने की चाह में
अब तो मेरा भी मन तरशाये |

प्रित निभाना जो हम सीखे
तो कौन मुझ अकेली को
प्रित सिखाये |

जो घड़ी की बात हो
तो ये समय और पल
उनके आने से
सिर्फ मेरे लिए ही
क्यों नहीं रुक जाये ....
क्यों हर पल गिनाये
मुझको उनसे दूर होना है |
और ये बात
बार-बार क्यों बताये ??

Friday, December 23, 2011

मैं सदैव पोषण के लिए ही तरशाई ....

बैरन जवानी ने 
छिना खिलैना |
लोगों ने तुझसे ही
तेरी गुड़िया चुराई |

बाबुल मैं पाली थी
नाजो में तेरे |
तो भला कैसे मैं
हो गयी पराई |

बेटी बनी ,
बहन बनी ,
और माँ भी
बन आई |

फिर भी समाज
में कमजोर लिंग
ही क्यों कहलाई ??

हर किसी ने महत्त्व
कम कर आँका
और मैं सदैव पोषण
के लिए ही तरशाई |

Thursday, December 22, 2011

मुझे और भी ज्यादा --- प्यार करना सिखा जाते है ....

यूँ तो इसमें कुछ नया नहीं ..
वही एक लड़की ,लड़के की 
जिती जगती प्रेम कहानी है ,बस |

पर इस प्रेम कहानी में 
जिना जितना है मुश्किल |
उतना ही मुश्किल है ,
उसे दो लब्जो में कहना |

मैं क्या कहूँ
ये तो मेरी ही प्रेम कहानी है
जिसका हर लम्हा ...
है सबसे अनजाना |

ये मेरा अहसास ,
कब यादों में बदल जाता है |
अब तो मेरा दिन क्या रात क्या
उनका चेहरा ही सब कुछ
बन जाता है |

ये तड़प, ये फासले
मुझे उनसे
दुरी की याद दिला
जाते है |
पर क्या करू प्यार के
अलावा |
मुझे और भी ज्यादा ---
प्यार करना सिखा जाते है |

तुम्हारे लिए जिती हूँ ...

ये वक्त हाथो से रेत सा 
फिसला जा रहा है ....
ये मेरा प्यार है ...
या कुछ और 
जो मुझे लगने लगा है |

की मेरा प्यार ..
मुझसे दूर जा कर
बस मुझे अपनी
जरूरत समझा रहा है |

मैं यूँ जीने मरने की बात
नहीं करती हूँ ...
लेकिन इस तरह दूर जाकर
शायद मेरा प्यार
मुझे अपनी अहमियत
ही बतला रहा है |

जो मैं हूँ वही
तो तुम्हारे लिए
जिती हूँ |
तो तुम्हारे दूर
जाने से
मर भी जाउगी |

लेकिन सच सुनते जाओ
तुम खुद से ही दूर जाना
चाहते हो |
ज्यादा दूर नहीं रह पाओगे
अगर भूलना भी चाहोगे
उसी समय आँखों के
सामने ही पाओगे |

Wednesday, December 21, 2011

जब कभी भी मुस्कराती हूँ , उन्हें सामने ही पाती हूँ ...

कोई और हँसी 
इतनी सुन्दर कहा 
जितना प्यारा है ,
मेंहबूब मेरा |

अब तो लोग से भी ,
कहते डर सा
लगता है |
कही कोई छिन ना
ले मुझसे
ये मेरी हँसी |

लेकिन अब में अपनी हँसी
छुपा भी नहीं पाती हूँ |
जब कभी भी मुस्कराती हूँ ,
उन्हें सामने ही पाती हूँ |

पर अगर मैं सच कहूँ तो |
मेरी ये बेकरारी अब ,
डर में बदल सी
जा रही है |

और अब तो
उनके साथ रहूँ |
या दूर
बस उनसे
कही बिछड़ ना
जाऊ इस डर
से अधमरी
सी हो जा रही हूँ |

मैं भले धुप में जलजाऊ ....

जो हाथो को मैं 
जोरो से लहराती हूँ |
तो हर जगह उनका ही 
अहसास पाती हूँ |

और उनकी ही
पुरानी यादो से
जुड़ सी जाती हूँ |

मैं भले धुप के बहाने
रौशनी में खड़ी
हो जाती हूँ |

पर दिल में तो
ये चाहत होती है |
की मैं भले धुप में
जलजाऊ |

पर किसी तरह
उनकी छुवन
और उनकी प्रित
को रौशनी में
दोबारा पाऊ |

Monday, December 19, 2011

इस हंसी रात में जो कुछ माँगू.......

इस हंसी रात में जो कुछ माँगू,
तो माँगू सिर्फ तुम्हारा साथ |
और जो अगर कुछ देखना चाहू  ,
तो देखू  मुझसे जुदाई का गम 
आपकी भी आँखों में |

यु आपको रुलाकर  मेरा दिल 
कभी-भी शुकून नहीं पायेगा |

बस इतनी सी आरजू है मेरी ,
की चलो इस बहाने कम -से -कम 
आपकी आँखों से निकली  ,
आंसू की छोटी सी बूंद से ही  ,
आपकी जुदाई का सारा गम ...
भर जायेगा |


Sunday, December 18, 2011

मेरी बेकरारी .....


हर हवा के झोको को.... 
तेरी यादो से जोड़ने में ,
हमें बड़ा मजा आता है  |
कभी -कभी ये लगता है ....
की तुम मुझे हवाओ के जरिये 
मुझे छुकर जाते हो |

हाँ ये सच है , 
की मैं तुम्हे रात-दिन ,
बस तुम्हे चाहती हूँ |
बस  बताती नहीं हूँ ,,,
ये मेरी खता है |

मेरी बेकरारी के मजे ,
तुम खूब उठाते हो |
सच तो ये है , की यूँ 
बेक़रार रहने मैं हमे भी 
मजा आता है |

Friday, December 16, 2011

मैं चली जो हवाओ के साथ ....

मैं चली जो हवाओ के साथ 
हवाओ ने पूछा कहाँ तू चली 
मैं भी क्या कहती 
कह दिया -
प्यार की तलाश में |

इस पर हवाओ ने कहा :-
ऐ नादान ना जा प्यार की गली 
इस प्यार में अच्छे -अच्छो की ना चली 
ना जा किसी की तलाश में ,
जिंदगी ही है , एक टेडी-मेडी गली |

मैंने कहा दिया हवाओ को 
ना रोको मुझे |
मुझे तो बुला रहे है, ये फिजा ...
बस ये सोचो मैं ...
अपने दिल में खिल रहे, 
फूलो को ही तोड़ने चली |

क्या कल आप हमे भूल जाओगे ???

जो देखोगे मेरी आँखे ,
पाओगे उन्हें ...
अब तो मेरी आँखे , 
उनके लिए काँटों को ,
चुनने का काम करती है |

अब कुछ पुकारू तो ,
उनका नाम ही जुबान पर
आता है |
अब तो सुबह क्या शाम क्या
उनका के नाम ही जीवन सा
होता जाता है |

क्या देखू , उनकी तश्वीर ??
उनको तो पलकों में सजाया है हमने ,
अब तो जीना क्या मारना क्या ??
उनकी हर यादो को जीवन सा
सुन्दर सजाया है , हमने |
जो सोचोगे इसमें सिर्फ सुन्दरता है ,
तो खूब मुस्कुराओगे ,
आज मैं जी रही हूँ , उनकी यादो से
क्या कल आप हमे भूल जाओगे ???

Monday, December 12, 2011

बस इतनी सी हसरत है.....

ना हम चोर है , 
ना दिल चुराना चाहते है |
बस इतनी सी हसरत है , 
जिसे दिल से चाहते है |
उसे दिल में बसना चाहते है |

हमे तो ये डर सताता है ,
की इस दुनिया की भीड़ में ....
हम कही खो ना जाये |
सबके साथ होते हुए भी |
कही हम अकेले ना हो जाये |

अब तो दिल की हर धड़कन |
तुम्हारा नाम सुनकर ,
कुछ बड सी जाती है ..
तुम्हारी यादे नहीं जाती ,
अब दिलो -दिमाक से ....
और मेरी ये आँखे ,
सिर्फ तुम्हे ..
खोजती रहा जाती है |


Friday, December 9, 2011

इस प्यार में नाकामी.....

इस मोहब्बत में,
कितनो को मंजिल नहीं मिलती |
फिर भी हम है , 
जो हर गम सहकर प्यार किये जा रहे है |
दिल टूट चूका है , 
लेकिन इसकी दावा की चाह में ..
बस तुम्हारा नाम लिए जा रहे है |

इस प्यार में नाकामी, 
ही अंजाम ही सही |
फिर भी खुदगर्जी में.. 
तुम्हारे नाम से ही जुड़ने, 
की चाह में ही अब जिये जा रहे है |

कोई क्या जाने ...
प्यार की तड़प को |
जो जानना चाहो 
तो देखो परवानो को |
जो जलकर भी, 
प्यार किये जा रहे है |

प्यार का रस ...


इस जन्म का प्यार है, हमारा |
और इसे जन्म में ही है,
..........प्यास बुझानी |

दो चुटकी ही सही सिंदूर की ,
अब तो तेरे नाम की ही है,
...................सजानी |

प्यार का रस
तो शहद सा मीठा है ,
जिसके नशे में मुझे रमजाने दे |
इसे मेरी दीवानगी कहो या प्यार ,
अब तो मुझे अपने दिल में समाने दे |

ये साथ,
कोई डोर सा पतला नहीं |
जो अब कभी टूट पायेगा |
तुम्हारी दासी बन रहूगी , उम्र भर |
अब तो मरने के बाद ही ,
....... तुम्हारा हाथ छूट पायेगा |


Thursday, December 8, 2011

तुझे पाने की चाहत में ....

तुझे पाने की चाहत में ,
मैं खुद को खोती सी जा रही हु |
तक़दीर लिखने की चाहत में ,
बस जख्म ही किये जा रही हु |

दोनों हाथो को फैलाकर भी ,
कुछ नहीं मिलता मुझे ..
मैं बस दिल के किये जुर्मो की ,
सजा पाये.... जा रही हु |

कर ले यकिन अब मेरा ..
मैं तो अब तेरी यादो के सहारे
ही ........जिये जा रही हु |

ये आंसू ना सोच नकली है |
क्योंकि तेरी हर यादो से
...... छनकर ही निकली है |

दिल का दर्द .....

अब तो आँखों में अश्क है 
और बचा है... दर्द का शिल-शिला |
यु तो मेरा सफ़र अधुरा है , 
पर मंजिल का है, 
बस मिनटों का फासला ||

दिल का दर्द आँखों से निकल
सिसकियो में
जगह पाता है |
पर मेरा दर्द तो
मेरा दिलबर ही
समझ नहीं पाता है ||

जो मैं अब पूछ बैठू लोगो से
.... हल इस मुश्किल का |
तो हर कोई बस सोचता ही रहा जाता है ,
पर उसकी रंजिस को
कोई प्यार में बदल नहीं पाता है ||

Wednesday, December 7, 2011

क्या लिखू आज .....

क्या लिखू आज .....
मुझे तो कोई शब्दों का सहारा नहीं मिलता |
कोई इतना मशगुल है , अपनी जिंदगी में, 
की उसका वो कहा प्यार भरा शब्द, दुबारा नहीं मिलता ||

जो की थी भूल मैंने .....
तो उसकी कोई भरपाई भी होगी |
जो भी सजा देनी चाहो , दे दो मुझे ||
पर कोई आप जैसा प्यार ...
और प्यार करने वाला दुबारा नहीं मिलता |

मैं जानती हु ...
की मेरा प्यार अब भी तुम्हारे दिलो जिश्म में है... बाकि |
पर कहा छुपा रखा है तुमने....
जो मेरे इतना खोजने के बाद भी, 
.......... दुबारा नहीं मिलता ||


Tuesday, December 6, 2011

अगर तुम मिल जाओ ........

कर ख़ुशी को पाने की ऐसी चाह |
की ख़ुशीया ही तेरी चाहत बन जाये || 
जब जीकर हो खुशियों का |||
तो सबसे पहला तेरा नाम हो ||||
और बस तू ही तू नज़र आये |||||

अब तो तेरे बिना कोई दूसरा |
दिलकश नजारा ही नही दिखता ||
जो अगर ना हो यकिन |||
तो एक बात मेरी सुनलो ||||
मेरी पसंद हो तुम |||||
और अब है हमारा |||||
जिश्मो-जान का रिश्ता ||||||

जो सच कहू , तो तुम मेरी खुशबू हो |
जो है मुझे बहुत ही प्यारी ||
और वो सिर्फ मेरी ही है ....
हां ...उसकी जगह कोई दूसरा |||
......................नहीं ले सकता ||||

Monday, December 5, 2011

ख़ुशी की बात है , जब मेरा दर्द भी लोगो को अच्छा लग जाता है.....

ये जो दर्द है मेरा, वो जुबा पर |
हर बार नये जस्बातो के साथ आ जाता है ||
ना कोई समझ पाता है , कितनी गहरी चोट खाई है मैंने |||
और ना मेरी जुबा से निकला दर्द , इसे मरहम बन भर पाता है ||||

ये ख़ुशी की बात है , जब मेरा दर्द भी लोगो को अच्छा लग जाता है |
जिसने ये दर्द दिया है, वो भले पलटकर ना देखे मुझे ||
लेकिन कोई दूसरा उसे सुनकर मेरी वाह-वाही कर जाता है |||

मानती हु की , मेरी ही गलती थी |
मैंने किसी अपने से ही ||
थोड़ी सी खुशिया मांगली थी |||

लेकिन अब क्या मिला मुझे |
जो मैंने बस थोड़ी सी बहार की चाहत में ||
अपनी पूरी जिन्दगी ही जलाली ||||

अब मैं एक कट पुतली सी हो गयी हु.....

जिस दिल को प्यार से भरा था, हमने |
उसमे दर्द ने जगह छिनकर लेली ||
यु तो सब कुछ मिल गया, जो खोया था |||
बस तुझे वापस पाने की, राह नहीं मिली ||||

यु तो अब मैं एक कट पुतली सी हो गयी हु |
जिसकी डोर किसी ने सब जान -बुझकर तोड़ दी ||
पर अब उस डोर को थामने वाला, कोई नहीं है |||
खुश रहू तो रहू .....किसके लिए ||||
जब खुश रहने की, कोई वजा ही नहीं है |||||

अब तो मैं पेड़ से टूटे लावारिश पत्ते की तरह हु |
जो बस यहाँ से वहाँ उड़ती ही जा रही है ||
ना तो उसके पास हवा के छोको का सहारा है |||
ना ही कोई मंजली जिस और उसे उड़कर जाना है ||||

अपनी मज़बूरी पर ही हँसता है...

ये दिल की दुनिया बड़ी अजीब है |
अन्दर से कोई टूट-टूटकर रोता है ||
पर ज़माने के सामने बहरूपिया बन |||
अपनी मज़बूरी पर ही हँसता है |||| 

और कहते भी हुए भी नहीं शर्माता |
की अब दर्द में ही मजा आने लगा है ||
क्योंकि हँसने से आंसू फुटकर निकल आते है||
और तकलीफे दुनिया की नजरो से छुप नहीं पाती है ||

तुने मुझको दर्द दिया है, प्यार में |
देख उसका जशन मैं हर-दिन मनाती हु ||
तुने मुझे गलती सोचकर भुला दिया है |||
पर मैं तुझे अपनी बाते याद दिलाकर
...........रोज मनाती हु ||||

Sunday, December 4, 2011

उसे प्यार करने वाला ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है....

क्या बोलू मेरा गम, किसी और से ज्यादा है या कम |
लेकिन जितना भी है, तकलीफ तो मुझे ही दे जाता है ||
तुम्हे पाकर दुबारा अब जीने की चाहत रह -रहकर बाकि है |||
अब तो तुम्हारी एक अधूरी सी नज़र भी उम्मीद जगा जाती है |||

कोई कहानी अधूरी नहीं होती है |
अगर उसे कोई अपने जीवन से जोड़कर बताता है ||
लेकिन बस समय की कम और उसकी मजबूर है |||
जो वो उसे पूरी नहीं कर पाता है ||||

फिर भला कोई क्यों आधे जाग और आधे सोते हुए |
जीवन के सुन्दर सपने बुनता है ||
अपना सपनों का घर बनाता है |||

लेकिन जब उसका सामना जीवन की कठोरता से होता है |
तब वो तड़पता ही रह जाता है ||
और उसे प्यार करने वाला ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है |||
जितनी तकलीफे और दर्द बड़े से बड़ा जख्म नहीं देता ||||
उससे कई गुना वो बस मुंह फेरकर दे जाता है |||||

Saturday, December 3, 2011

ये आंसू नहीं है , ये तेरा एहसास है....

ये आंसू नहीं है , ये तेरा एहसास है जो हर -पल तुझे याद कर ही बहा जा रहा है |
मुझे याद है, तुने कभी कहा था की ये आंसू नहीं मोती है --जो मेरी हाथो से फिसले जा रहे है ||
लेकिन अब तो क्या मोती ....ये गोंद से हो गये है |||
जो बार -बार धोने के बाद भी चहरे से धुल नहीं पा रहे है ||||

जिन पलकों को देखकर तुमने कहा था , की इसमें जिन्दगी दिखती है ||
वो बेचारे मेरी आंसुओ का बोज ही ठीक से, नहीं उठा पा रहे है |||

अब तो मैंने उदासी का एक नकाब सा लगा रखा है |
जो जल्द ही मेरे चहरे से बनते जा रहे है ||
खुशियों की चाहत करना , अब बेईमानी सी लगती है |||
मेरी तकलीफे , मुझे गम में ही, अब जीना सिखा रहे है ||||

तड़प नहीं दर्द है इश्क........

जो मैं बुलाऊ उसे और वो सुनकर भी इसे अनसुना कर दे |
पर इस पर भी मुझे रोना नहीं आता, बस चीख निकलती है ||

जिसे कोई समझ नहीं पाता है , सुन नहीं पाता है |
और मुझ पर ही, चाहत में रुसवाई का इल्जाम लगा जाता है || 

क्या कोई इतनी आसानी से, किसी की दुनिया से दूर चला जाता है |
जो इतना बुलाने के बाद भी, सुन नहीं पाता है , लोटकर नहीं आता है ||

कहा खोजू उसे वो हर जगह मुझे हर बार दिख जाता है |
पर ना जाने उसने कौन सा काला चश्मा लगा रखा है ||
की मुझे और मेरी तकलीफों की ओर एक नज़र भी नहीं दे पाता है |||

ये तड़प नहीं है, " दर्द है इश्क" का जो हर सुबह के साथ बढता ही चला जाता है |
लेकिन जब रात आती है , नींद भी आ जाती है ||
बस नहीं आती मीठे सपने, क्योंकि सपनो में भी उसकी ही याद आती है ||| 

Friday, December 2, 2011

तुम्हे याद करना है.... बेहद जरुरी .....

मैंने सपनो में ख़ुशी खोजनी चाही, पर गम हाथ आया |
चलो ना मिली ख़ुशी तो गम ही सही ||
कम से कम ये खुशियों के बराबर है, कम तो नहीं |||

अब तो ना समझ बना रहना ही सुकून देता है |
कम से कम इस बहाने तो लोग समझ लेते है, मुझको ||

एक ख़ुशी की चाहत में, मैं अपना गम दुनिया को बता रही हु |
और उनके मुंह से बेचारी कहलाकर जशन मना रही हु ||

भले हमारा प्यार अधुरा रहा गया है |
पर तुम्हे दुबारा पाने की चाहत है पूरी ||

दिल से निकल रही है , ये पुकार ,नहीं है कोई मज़बूरी |
जो समझो मेरी तकलीफ ||
तो ये भी जान लो ...की जीने के लिए |||
तुम्हे याद करना है.... बेहद जरुरी ||||

मेरा सपनो का घर टूट चूका है..... अब मेरी है बारी...

जख्म देने वाला जब बेफ़िकर हो , और कहे क्या इस जख्म से तुमको दर्द होता है |
तो मन होता है , ये कहा दू की ये जख्म तो कुछ भी नहीं ||
जो तुमने पूछ इस तरह.... तो उससे भी दुगना जख्म कर दिया |||

अगर प्यार ना करती , तो मैं आज भी खुश होती शायद अब जैसे नहीं होती |
अब तो ये हालत है , की किसी ने मेरे दिल की दिवारी को आधा रंगा और आधे में ही छोड़ दिया ||

क्या छुपाऊ अपना गम ज़माने से, जब तुमने हमारे प्यारी की जमीन में खिलता गुलाब ही तोड़ दिया |
अब तो जिंदगी इस तरह सी लगाती है , मानो मैं जी नहीं रही हु, बस अपने टूटे सपनो को बटोर रही हु ||
तुम कहते थे , की मैं हु तुम्हारी परछाई तो तुमने भला कैसे अपनी परछाई को पीछे छोड़ दिया |||

मानती हु की मैं अँधेरा हु , पर तुमने एक बार ना सोचो की बिना परछाई के मैं कैसे रहूगा |
बस रौशनी का हाथ थामा और अँधेरे में अपनी ही परछाई को पीछे छोड़ दिया ||

अब तो जिन्दगी बेजार बंजर सी लगती है , जिसमे बस दरार नहीं पड़ी है पर उसकी सारी नमी सुक चुकी है |
मैं मानती हु , की मैं गुनहगार हु तुम्हारी तो चलो खुशिया मनाओ, मेरा सपनो का घर टूट चूका है..... अब मेरी है बारी ||

तुम दुबारा लोटोगे ये ऐतबार कर लूगी ......

ना तुम आये, ना तुम्हारी आवाज आई |
फिर भी कानो में कोई आहट बार -बार आकार ||
मुझे नींद से उठा जाती है |||

अगर ये तुम हो तो क्यों मुझे रुलाते हो |
यु दूर रहकर क्या तुम खुश रह पाते हो ||
तो फिर आ जाओ ||
चाहे उसे बाद जितना चाहो उतना सताओ |||

अब तुम्हारे बिन जिना एक घुटन सी लगती है |
जिसमे मैं ही बस शिश्क रही हु ||
और कोई अपना उसमे उदासी का काला दुआ भरता जा रहा है |||

अगर तुमको नहीं है आना |
तो ये बताने ही कम से कम आ जाना की मैं नहीं लोटुगा ||

पल भर के लिए ही तुम्हे दिल खोलकर प्यार कर लूगी |
जो ना देख पाऊ जिंदगी भर तो भी तुम दुबारा लोटोगे ये ऐतबार कर लूगी ||

Thursday, December 1, 2011

लेकिन उसका दर्द उसके प्यार से भी ज्यादा मीठा है.....

किसी के पास आने से जो दिल में जो प्यार भर गया था |
वह उतना ही दर्द ...दूर जाकर दे गया, लेकिन उसका दर्द उसके प्यार से भी ज्यादा मीठा है ||

शायद उसने प्यार तो बराबर बाटा था, पर दूर जाकर अपना दर्द भी मुझे दे गया |
कोई बात नहीं , मैंने इस बात से ही तशलिल कर ली है की उसे मुझसे दूर जाकर अब कोई दर्द नहीं होगा ||

क्या ना मुझे इस बात की खुशिया मनानी चाहिए , जिसे मैंने दिल से चाह था उसे मुझसे से दूर जाकर अब कोई दर्द नहीं होगा |
मेरा क्या मैं तो उसकी यादो के सहारे ही जी लूगी , कम -कम इस बहाना उसे भूल नहीं पाउगी और उसकी कमी मेरी जिंदगी में कभी नहीं होगी ||

ये सब आसन नहीं है कहना और उतना ही मुश्किल है उससे दूर रहना |
पर अब ना भी नहीं कर सकती क्योंकि जो भी है ये मेरी जिंदगी है और मुझे है ऐसे ही है जिन्दा रहना || 

पता नहीं अब इन लहरों को क्या हो गया है...

जब खुशिया थी पास मेरे , हर दिन वो लहरों की तरह आती थी |
मैं उसमे डूबती थी और उभरती थी , पर पता नहीं अब इन लहरों को क्या हो गया है ||

अब भी दूर से आती दिखती है पर जब भी दोड़ी पास जाती हु , प्यासी रह जाती हु |
मेरी प्याल भी अधूरी सी हो गयी , छम - छमती है पर उसमे गूंज नहीं है ||

क्या मेरी मन की प्यास, क्या कोई अब फिर बूछायेगा या मेरा ये दिल तड़पते ही रह जायेगा |
मैं सच कहू अब मेरी तड़प भी मेरा साथ छोड़ जा रही और ये सच है, एक दिन मैं बिन बताये कही खोसी जाउगी ||

पर इस गुमनामी में भी , मेरे हालात नहीं बदलेगे |
और मैं जल बिन मछली की तरह तड़पती रह जाउगी | |

Wednesday, November 30, 2011

इस बेदर्द ज़माने में जीने का सलीका नहीं आता....

ना हम मजबूर है , ना हमारी कोई मज़बूरी है |
बस हमे तो ...इस बेदर्द ज़माने में जीने का सलीका नहीं आता ||

खोल के रख देते है , दिल अपना दूजो के पास |
हमे तो अपना गहरा जख्म भी छुपाना नहीं आता ||

फिर भी लोग कहते है , की तुम्हारे पास दिल नहीं है |
अब किसे कहे की दिल तो दिया है भगवान ने ||
बस कच्चे है हम, दिल के जस्बात दिखाते नहीं है  |||

जो रही तक़दीर , तो दुनिया के हिसाब से ढल जायेगे |
हम ना रहेगे अब जैसे, चलो दुसरो की ख़ुशी के लिए ही बदल जायेगे ||
 

जिस्म ही बाकि है , उसमे जान नहीं है ...

अब तो सिर्फ जिस्म ही बाकि है , उसमे जान नहीं है |
जिसे समझ बैठे थे अपना, आज उसे हमारी पहचान नहीं है ||

जो है, अब दरमिया वो तो सिर्फ फासले है |
जिसे भरने वाला अब तो कोई नहीं है ||

जो ये गम सिर्फ मेरा है , तो इसे महसूस करने वाली सिर्फ मैं हु |
कोई दूसरा नहीं है ||
अगर वापस माँगू तो क्या माँगू मैं , जब देने वाला कोई अपना नहीं है |||

अब फरियाद करना भी एक चीख सी लगती है |
जिसे कहने वाली और सुनने वाली सिर्फ मैं हु कोई दूसरा नहीं है ||