Wednesday, June 27, 2012

होश में क्यों आये ??


बात थम  जाए ...
जब वो पल ,
मिले नसीब  में ..
होश में क्यों आये ??
जब वो रहे करीब में  |


खामोशियाँ धड़कन की ,
कहीं वो ना सुन ना ले ...
अब ये डर लगता है , 
क्योकिं धडकनों के इस साज में ,
अब बस उनका ही नाम बजता है |


आ ज़रा करीब  से ....
खुद को मुझमें समाजा 
जाने क्या होगा कल ,
कम - से - कम 
एक  दूजे के नहीं ... तो ...
एक दूजे के थे , तो कहलायेगे |


7 comments:

  1. बेहद खुबसूरत रचना

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  2. PYAR KA DARD LIYE BAHHOT SUNDER KAVYA RACHNA.

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  3. बहुत अच्छी रचना !

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  4. धन्यवाद आप सभी का ....

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  5. आपका बहुत - बहुत आभार ...

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  6. 'made' for each other न सही 'mad' for each other कहलायेंगे |

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