क्या कहूँ मेरे ख़्वाब,
तूं कितना हँसी हैं ?
हाँ, सच है की
तूं ज़रूरत ही हैं, मेरी
पर कोई जुर्ररत नहीं है |
आँखों में आज भी, वहीँ सपना हैं......
लेकिन हकीकत और हिम्मत जवाब दें चूँकि
मैं बुरे हालातों की बुराई क्यों करूँ ?
हर किसी ने मुझसे उम्मीद बना रखी होगी
और मैं हर बार उनकी उम्मीदों में
सही/गलत खोजते नज़र आती हूँ |
खाली हाथ दुआ को उठतें है और
वहीं आशीर्वाद के लिए भी झुकते है |
नयी शुरुआत, महसूस की जाती है....
सब कुछ नया हीं हैं जो पहुँच में आज नहीं
उसे पाने की चाह मारी ना हो,
इसलिए एक मौका दो खुद को |
-- सम्पा बरुआ
तूं कितना हँसी हैं ?
हाँ, सच है की
तूं ज़रूरत ही हैं, मेरी
पर कोई जुर्ररत नहीं है |
आँखों में आज भी, वहीँ सपना हैं......
लेकिन हकीकत और हिम्मत जवाब दें चूँकि
मैं बुरे हालातों की बुराई क्यों करूँ ?
हर किसी ने मुझसे उम्मीद बना रखी होगी
और मैं हर बार उनकी उम्मीदों में
सही/गलत खोजते नज़र आती हूँ |
खाली हाथ दुआ को उठतें है और
वहीं आशीर्वाद के लिए भी झुकते है |
नयी शुरुआत, महसूस की जाती है....
सब कुछ नया हीं हैं जो पहुँच में आज नहीं
उसे पाने की चाह मारी ना हो,
इसलिए एक मौका दो खुद को |
-- सम्पा बरुआ