Wednesday, November 30, 2011

इस बेदर्द ज़माने में जीने का सलीका नहीं आता....

ना हम मजबूर है , ना हमारी कोई मज़बूरी है |
बस हमे तो ...इस बेदर्द ज़माने में जीने का सलीका नहीं आता ||

खोल के रख देते है , दिल अपना दूजो के पास |
हमे तो अपना गहरा जख्म भी छुपाना नहीं आता ||

फिर भी लोग कहते है , की तुम्हारे पास दिल नहीं है |
अब किसे कहे की दिल तो दिया है भगवान ने ||
बस कच्चे है हम, दिल के जस्बात दिखाते नहीं है  |||

जो रही तक़दीर , तो दुनिया के हिसाब से ढल जायेगे |
हम ना रहेगे अब जैसे, चलो दुसरो की ख़ुशी के लिए ही बदल जायेगे ||
 

जिस्म ही बाकि है , उसमे जान नहीं है ...

अब तो सिर्फ जिस्म ही बाकि है , उसमे जान नहीं है |
जिसे समझ बैठे थे अपना, आज उसे हमारी पहचान नहीं है ||

जो है, अब दरमिया वो तो सिर्फ फासले है |
जिसे भरने वाला अब तो कोई नहीं है ||

जो ये गम सिर्फ मेरा है , तो इसे महसूस करने वाली सिर्फ मैं हु |
कोई दूसरा नहीं है ||
अगर वापस माँगू तो क्या माँगू मैं , जब देने वाला कोई अपना नहीं है |||

अब फरियाद करना भी एक चीख सी लगती है |
जिसे कहने वाली और सुनने वाली सिर्फ मैं हु कोई दूसरा नहीं है ||

भूल गया की धड़कना भी है उसको .....

जो चेहरे को मैंने आंसुओ  से धोया उसमे बस नमी की कमी थी |
जो मेरी धड़कनों ने धड़कना चाहा तो धड़कन के लिए बस दिल की कमी थी ||

जो अब सब कुछ पाने की चाहत कर बैठा मेरा ये दिल |
तो भूल गया की धड़कना भी है उसको ||

उस बेचारे ने प्यार को ही धड़कन समझ लिया |
और प्यार करते- करते धड़कना ही भूल गया   ||

अब जब प्यार दूर गया तो उसका धड़कन भी कही खो गया |
अब तो ये हाल है की वो कुछ नहीं है एक घड़ी बन चूका है || 
जो कई घंटे लेट चल रहा है  |||

Tuesday, November 29, 2011

मेरा अक्स मेरे साथ नहीं है ...

ऐ मेरे हम साये , तेरे बिना अब तो मेरे जीवन अधुरा है |
मानती हु की अब तुझे मेरी जरुरत नहीं है ||

तो ये भी जान ले, मैं आधी हो गयी हु |
क्योकि मेरा अक्स मेरे साथ नहीं है ||

तू ना गम करना मेरी इस बदहाली पर |
क्योंकि जिससे अब भी चाहत करती हु ||
वो सिर्फ तू है , कोई दूसरा नहीं है |||

अब तो जमीन पर पैर नहीं पड़ते मेरे |
क्योंकि पैरो तले जमीन ही नहीं है ||

जो बचा है ,अब वो तो मोम की एक काली बाती है |
जिसमे अब कोई रौशनी ही नहीं है ||


(jannu barua )

आँसू ......

ऐ मेरे दिल तू दर्द में मजा ले रहा है |
आँसू बह रहे है मेरे, भला तू किस बात की सजा दे रहा है ||
मुझे यकिन है , की मेरे गम से तू भी दुखी है |
लेकिन मुझे ये बता ऐ दिल, जिसने आँसू दिए गम दिया ||
वह भला अभी भी इस दिल में क्यों रह रहा है |||