ना हम मजबूर है , ना हमारी कोई मज़बूरी है |
बस हमे तो ...इस बेदर्द ज़माने में जीने का सलीका नहीं आता ||
खोल के रख देते है , दिल अपना दूजो के पास |
हमे तो अपना गहरा जख्म भी छुपाना नहीं आता ||
फिर भी लोग कहते है , की तुम्हारे पास दिल नहीं है |
अब किसे कहे की दिल तो दिया है भगवान ने ||
बस कच्चे है हम, दिल के जस्बात दिखाते नहीं है |||
जो रही तक़दीर , तो दुनिया के हिसाब से ढल जायेगे |
हम ना रहेगे अब जैसे, चलो दुसरो की ख़ुशी के लिए ही बदल जायेगे ||