अब के सावन मेघा रे ,
जो तूँ ना आयी उनके साथ
तो मेरी प्यास तेरे आने से भी ,
बुझ ना पायेगी |
और किसी झरोखे से ....
उन्हें खोजती मेरी नज़र ...
आँसुओं में भीगकर,
मायुसी में कहीं खो जायेगी |
कुछ तो कर जा ऐसा,
की हमें फिरे से जीने की कोई वजह मिल जाये ,
दूर रहे सदा वो हमसे ....
पर फिर भी एक हसीन मुलाकात में ..
...खोया सब कुछ हमे फिर दे जा |
जरा सोच , जब दो मन एक ही आंगन में मिल जायेगे ...
तो दो दिल के बीच की सारी दीवारे भी मिट जायेगे ...
तब तन - बदन में आग लगेगी और हम भींगकर भी सावन में जल जायेगे |
जो तूँ ना आयी उनके साथ
तो मेरी प्यास तेरे आने से भी ,
बुझ ना पायेगी |
और किसी झरोखे से ....
उन्हें खोजती मेरी नज़र ...
आँसुओं में भीगकर,
मायुसी में कहीं खो जायेगी |
कुछ तो कर जा ऐसा,
की हमें फिरे से जीने की कोई वजह मिल जाये ,
दूर रहे सदा वो हमसे ....
पर फिर भी एक हसीन मुलाकात में ..
...खोया सब कुछ हमे फिर दे जा |
जरा सोच , जब दो मन एक ही आंगन में मिल जायेगे ...
तो दो दिल के बीच की सारी दीवारे भी मिट जायेगे ...
तब तन - बदन में आग लगेगी और हम भींगकर भी सावन में जल जायेगे |