बंदिशे प्यार की गहराइयों को .. कभी- भी बांध नहीं सकती .....| अगर दिल में हो चाहत .... तो प्यार का मीठा सा दर्द भी होगा |
बस ये ऐहसास आज ना हुआ हो !! जिसमें हार भले, आपकी हुई हो, पर उस हार का इंतजार, आप सबको होता है | वो ना सोचें कभी ... की उनके बढते कदमों को देख .... मैं कभी उनसें दूर हो जाऊँगी....|| जितना बढ़ेंगे वो सफलता की ओर ... उतना हीं साफ़ उन्हें देख पाऊँगी | और क्या माँगू तुमसे ?? अब तो मेरा प्यार .... कोई दीवानगी नहीं है | ये तो पूजा बन गया है .... | जिसमें हार भले मेरी हुई है | पर जिसे जीती हूँ -- .........वो हो तुम ..... |
सुनकर बड़ा अच्छा लगता था, की दो बदन एक जान है, हम | ये बात मुझें आज भी सुननी है कहा करते थे ..तुम्हारा हक है - उस हक़ को हक्कित की बलि ना दों |
अब भी मेरे ये कान तुम्हारी आवाज़ खोजते है... यही सुनने की चाह में, यूँ तो दिल थक चूका है ...| उन जवाबों के इंतजार में, फिर भी आश नहीं टूटी है | इंतजार करता - रहना भी कुबूल है पर उन्हें भुलाना मुश्किल है, अपने वजूद से |
उनकी याद बिन बुलाये आ जाती है , लेकिन वो बुलाने के बाद भी नहीं आते | हम - खुद को उम्मीद देते है, ( मैं और मेरा पूर्वाग्रह से ग्रसित मन ) शायद वो हारें अपनी जंग, मुझें भूल जाने की .... उनकी इन कोशिशों से भी दर्द होता है |
जो फुल ना हो हाथो में , फिर भी चाहत ये है .. की शब्दों से ही सहीं | आपके जीवन में " ख़ुशी के रंग भर दूँ ...|
जो लिख रहीं हूँ ... वो सिर्फ बाते नहीं है | दिल की कलम से निकले ...शब्द है ...| जो जग रहे थे ... तो बंद थी आँखों ..| जो अब सोना चाहते है .. तो आँखे खुलती नहीं है |
अब तो ना दिन ख़ुशी देता है ... ना रात कोई गीत सुनाती है | आज हँसू , तो हँसू कैसे ... ?? जब कोई भी हँसाती हुई बात ... सिर्फ चुभ ही जाती है ...... |
कैसे कहूँ अपनी व्यथा ?? जो कमी होती है, कुछ हमेशा .. कम पड़ जाता है वो दर्द ..." वो ऐहसासों में छुपा.... " तेरा - मेरा प्यार " |
तेरी सदाओ का अब ये असर है बेअसर हो रहीं है मेरी हर फ़रियाद... इब ना होगा उनकों मुझ पर यकीन जिसे जाना था ...वो कब का छोड़ गये | पर कैसे ?? भूल जाऊँ उन यादों को , भोली बातों को, अनजान ख्वाइशों को ... किस बात की हया मुझकों ?? फक्र है अपने वजूद पर... | आखिर मौत ही तो , अंतिम सबक है, जिसे जल्द सीखने की चाह नहीं, मुझकों | जो बनना चाह था ,ख्वाब किसी का | तो आज खाक ...बनकर रह गये ||
मलाल जिन्दगी से नहीं ना कई वजह तलाश्तें है ... पर उस फरेब करते, फ़रेबी से हमें सच्ची मोहोब्बत थी |
" ना रुसवा ..होने का है ...कोई डर मुझे ..." " ना कयामत का है ,कोई खोफ ..| " " ऐ मेरे मेहबूब .. तू तो खुद ... " एक कयामत " है, और मुझपर होता, हर पल कहर तेरा |
तो अब तू ही बता ...?? मैं ऱोज तड़पता हूँ, जो तुझें याद कर | मुझें यकीं नहीं है, कयामत जब आयेगी... शायद हीं तेरे दिए दर्द को भुला पायेगी ?? " क्यों तेरी गलियों में ना आऊँ ?? मोहोब्बत ना होगी, तुझसे तो सहीं .. हम अपना जख्म ताज़ा कर जायेगे " |
" नफरत भरी निगाहों से ना देख मुझे ..." " मेरे लबो में बसा है ,बेसुमार प्यार तेरा | " हँस दें ज़रा बद्दुआओं देकर, इसमें तो मेरा हीं हक़ है | अगर मुझें उजड़ता देख, जो तेरी आँखें भी चमकती है ... खुद को तेरा परवाना कहलाने एक फक्र है | खुशनसीबी है, ये की खाक हो जाऊंगा तेरे इश्क में, बस एक इल्तजा है ... की तेरे सुरमें में मेरी राख की चंद छिटें हो |
" मुझे यकीं है ..ना तुझे आज मेरी जरूरत है " और ना कल होगी ..|" " पर याद रखना जब तक .. जीना होगा -- इस दिल में सिर्फ तू होगी, वरना साँस लेने से, हसीन मौत होगी |"
किसी राही ने साथ पाया हमारा तो पूछ बैठा किस दिशा में चले हो ... हमने बेमन कहा बस चले थे , अकेले , अकेलेपन की तलाश में ... जो आप मिले हो , तो कुछ देर ही साथ है |
वो बड़ा परेशान , मन में कई इच्छा लिए .. अपने ही विचारों में उलझा , पूछ बैठा " नाम क्या है ?? हमने कहा किस नाम पर यकिंन करोगे जो " मैं कह दूँ .. Ans- " सच और अच्छा " अनुवादित इंग्लिश जो थी " रियल एंड गुड वन " |
हम जोरो से हँसे कहा , क्या करोगे नाम जानकर ....?? इस पर उसने हार ना मानी कह बैठा एक गहरी बात , याद करूँगा कोई आप जैसा भी है .... जो अजनबी होने के बाद भी अपना सा लगा ..|
अब हँसी उसके चेहरे में थी , और मैंने सोचा बता दूँ " अपना नाम " | फिर लगा क्या होगा ?? वो जहाँ भी जाये " मेरी दया को अपनी सफलता मान, भूल करेगा " ..
" तो इसे बतलाऊ क्या देती है, जिन्दगी कोमल चाहतों को ...." कह दिया " अजनबी का नाम नहीं जाना करते वरना वो अजनबी नहीं रह जाते " ... |
लड़का समझ चूका था , की हम नहीं टूटेगे .... उसने कहा आपसे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई .... मैं आपको याद करूँगा, हमेशा एक दोस्त की नजरों से ... और नंबर मांग बैठा , हमने फिर कहा क्या करोगे ?? वो हार चूका था , पर उसे अपनी हार मंजूर नहीं थी ....|
बस से उतरा और कुछ खरीद कर दिया ...... बोला आप मुझे याद करे उसके लिए , कहा अब ना मत कहिये ... मैंने रख लिया " जाते वक़्त उसने अंतिम बार कहा " नेट युस करते हो " और बस शुरू हो गयी " लड़के ने एक नाम बताया था " पर याद नहीं " पर एक चींज वो याद रखेगा " मैंने उसे हाथ हिलाकर बाय कहा " |
आज देखी मैंने , बिसलरी की ख़ाली बोतल ... आधभरी थी , पर ढक्कन और इस्टीगर ने अब तक साथ ना छोड़ा था | मन हुआ था की " भर दूँ, उसे ... नल के पानी से ..." फिर कौन जान पायेगा ?? इसका पानी कहा से आये है ... और शायद कोई नयी बोतल समझकर, इसे भी अपने फ़िर्ज में एक जगह दें दे .. | पूरा प्लान तैयार था, सोचे एक न्यूज़ पेपर भी साथ होगा | तो ज्यादा प्रभावी लगेगा, मैं अपने मज़े और मनोरंजन में || मैं जो नज़र बचाए, कुछ कर गुजरने की उधेड़बुन में थी ... की अब ज़रूर कोई तरक्की मेरी ना होकर भी मुझें हंसी देगी , आज | जब उठी , तभी एक बच्चा वहाँ से गुजरा, और उस बोतल को देखकर .. मुस्कुराया " इस्टीगर फाड़ा और उसका पानी गट कर गया ... कुछ देर बैठा उसी बैंच पर, पैरों को हिलाते हुए " मुझे देखता रहा ..." | पर मैं अब भी नहीं उद्दास थी , लगा चलो बिसलरी में उसका नाम लिखा था ... और उसने उस नयी सी लगने वाली बिसलरी को अपनी प्लास्टिक की थैली में बड़ी बेदर्दी से फेका | मैं मन ही मन सोचने लगे , काश मैं इसके लिए भी " एक फ़िर्ज खोज पाती ....." | इतने में वो आँखों से ओझिल हो गया | मैं वहाँ कुछ मायूस सी बैठी रहीं , थोड़ी देर ......
बेहद कम शब्द है , पास पर जो समझा दुनिया को , अगर समझा पाये कभी , तो गागर में सागर ही होगा |
लिया... एक्साम्प्ल कीमे का , जिस जानवर का निकालों ... सभी का बन जाता है ...
पर हमने तो इंसानियत का कीमा देखा है ... मैं अगर अब इन्सान को जानवर कह दूँ , तो ये जानवरों के वजूद से नाइंसाफी ही होगी | अब तो इंसानियत जानवरों में दिखती है -- लाचारी , बेबसी ..में और मनुष्य कीड़े - मकोडो सा हर जगह फैला सा लगता है |
जो कमजोर होता है , ताकतवर के पैरों तले कुचला जाता है.... और एक सच ये भी है , ताकतवर बनने के लिए ... कुचलना भी जरुरी हो जाता है |
वो सुबह ना आयी , ना आयी वो शाम .. मोहोब्बत की यादें भी ... ना दे पायी , कुछ आराम |
हम तो ग़मों के चादरों को , लपेटते हीं उलझे हैं , पता नहीं कैसे ...?? जिन्दगी की तकलीफे ने .... उलझे रेशो की जगह ले ली ... | अब जो सोचते है .... चादरों का शोक, क्यों पाला था ??
आज जो उलझे हुए है , " बिना बुने ..." इन तकलीफ देने वाले ग़मों में , और जब भी छुटना चाहते है , तो पुरानी चादरों में ही , क्यों बार- बार उलझ जाते है ??
रूठे हो तुम ... तो कह दो मुझे , ना करनी है , अगर कोई बात ... तो किसी इशारे से ही समझा दो , हम भी तो देखे, कोई हमसे .... कैसे और कितना रूठ सकता है ??
लेकिन जब ये सोचते है , की वो भी मेरा ही दिया कोई प्यार हैं ... जो आपकी नाराजगी की " शायद वो वजह है ..." |
कुछ कहो , यूँ चुप ना रहों " मैं कब से तो खोज रही हूँ ..." आखिर मेरे प्यार के आँचल में छुपा कौन सा निर्दयी कॉटा चुभ गया ?? आपको |
मैं पूछती हूँ , क्या आप ख़ुशी हो ?? " अपनी हँसी खोकर ..." गुस्से में तो सिर्फ गलतियाँ होती है ... | मैं मानती हूँ , मैंने गलती ही है ... अब आप ही सोचो जब हमें प्यार है ... तो क्यों ये सोचते हो ?? " की मैं गलत हूँ ..." कहीं आप किसी गलती से प्यार, तो नहीं करते हों ??
कोई समझ बैठा है ... की वो हीं सब कुछ है, और हम कुछ खास नहीं | लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था, जब वो हमें अनमोल कहते थे ।
जो आज वो किमती पत्थरों में, चमक तलाश रहें है ... तो हमें बेमोल पत्थर सा मानकर, अपनी ठोकरों में रखा है ।
फिर भी किसमत का रोना, क्यों रोये हम ?? आज जो वो हमें, पैरों में भी जगह देना नहीं चाहते | और हम इस उम्मीद से उनकी और देखते है ,,,, की चोट करके उनको भी दर्द होता होगा, शायद | उनका दर्द कम हो तो क्या ?? एक दर्द का रिश्ता हीं सही ... हम प्यार मांग रहें है , तुम दर्द हीं दे दों | इस उम्मीद में की अब भी उनके दिल में कहीं दबा-सम्हा हमारा प्यार भी है । जो अब हमारा प्यार करना गुनाह हो चुका है , और हम सिर छुकाये हर चोट सहे जा रहें है , की एक दिन हम भी चमकेगे, इन पत्थरों की तरह । तब तुम हमें प्यार करना और हम चोट करेंगे .....
ये क्या हुआ है मुझकों ?? सच कहूँ , ऐसा तो कुछ भी नहीं | जैसे पहले थे-वैसे हीं, आज भी जि रहें है | सुबह पहले - पहल उठते है, सबसे ख़ुशी से मिलते है ... अपनी मायूसी - मासूमियत से ढकते है | जब मौका मिलें तो, दिल खोलकर हँसते है | मेरे हँसते हुए चेहरे से , इत्तेफाक कोई ना रखें तो क्या ?? हँसकर कहते है, कुछ गिर-गया है शायद | सुबह से देखों आँखें लाल-लाल हो रहीं है ...| पता नहीं ये कब तक चुभेगा, सोचती हूँ आँखें हीं बंदकर लूँ , तो दर्द भी कम हो जायेगा | सच है समय के साथ चल चुकें है , नहीं रुकें है, किसी के इंतजार में | जिन्दगी में बहुत से झटके आयें पर इन झटकों का हिसाब कभी किया नहीं ... लेकिन आज उन झटकों को याद करने लगें, जब | तो सबने बारी-बारी कहा, अब हमारी याद कैसे आ गयी ?? हमनें तो तुझें इतना ज्यादा दर्द कभी दिया नहीं | आज तूं इतनी बेबश कैसे हो गयी ?? जो हमसें ज़हर मांगने आयी है | चली जा यहाँ से हमें नीचा ना कर, तूं चाहती है जो दर्द ... वो हम चाहकर भी ना देंगे | तेरी सज़ा यहीं है जब तक ज़ी रहीं है, उसें याद करना ?? तब तेरी दवा और दर्द साथ-साथ होगा |
तुम्हें दें उस मोहोब्बत की कसम, जिसमें तुम थे, हम थे और थी ये दुनिया " चुप " | ओ सनम यूँ तो आज भी तेरी हर यादें बोलती है, पर इस बेरहम दुनिया से जो उन्हें छुपाना पड़ता है |
तो तन्हाई में, उन्हें अपना हाले-दिल बताना ... मुश्किल-ब-मुश्किल होता चला जाता है |
यूँ रो-कर कभी-भी अपनी बात पूरी की नहीं जा सकती, इसलियें मासूमियत को दफन कर मुस्कुराना पड़ता है | यूँ तो खफा हूँ, तेरे बेरुखी पर, फिर भी खोफ ना खाना... अपनी अनजानी भूल के लिए, मैं आज कुछ यूँ शर्मिंदा हूँ !!
पता नहीं, तुझसे बिछड़कर अब तक कैसे जिन्दा हूँ ??
मिलकर बिछड़ने का दस्तूर पुराना है, ना तुम अपनी खूबियों पर मगरूर हो | तो क्या कोई मेरा ऐब, इसकी वजह है ??
जो हो सच कह दो, अब तो इन्तहा हो रहीं है | तुम्हारी भी तन्हाई मुझें ... तुम तक आने को मजबूर करती है | आखिर तुम तन्हा क्यों हो ??
जिन्दगी ज़ी रहीं हूँ, कैसे जिया है " अब तक " | लफ्जों ने बेवफाई ना की है पर क्या कहूँ, तेरे बिन अब तक ?? नम आँखें ना जाने कब से सूख चुकीं है... लेकिन तेरे इंतजार में बिछी है, तब से अब तक |
जीनें की वजह तलाशती हूँ, सांसे भारी लगने लगी है... तेरी यादों के सहारें रहकर भी तिनके की तरह बह-रहीं हूँ, तब से अब तक |
वो भूलें ना भुलाएँ जातें है, कटती रातें नम आँखों से उन्हें ढूंड लाती है | तन्हाई भी ताजगी भर जाती है, चलों सपनों में तुमसे मुलाकात हो जाती है |
गलत की लत मुझें है, जो गलत हुआ उसकी वजह भी, मेरी | पर जो रुक चूका है, उसे रफ़्तार चाहियें ?? सपनें आज भी देखें जा सकतें है | बस इन डूबती आँखों की गहराईयों में झाकों, कहीं मैं इनमें डूबती ना जाऊं ...??
आज तुम्हारी आवाज़ जो छानती फिरती हूँ, कभी ऐसा ना हो की तन्हाईयों की गर्त में जो धस जाऊं, चाह कर भी तुम्हें मैं सुन ना पाऊं, शायद प्यार ना होगा उस अंतिम पुकार में , पर अफ़सोस की वजह तो बन हीं जाऊंगी, तेरे प्यार में ??