Thursday, April 7, 2011

वाह-वाह


दो तिश्मरखा बड़ी -बड़ी हक़ रहे थे, " एक ने कहा जो बात शुरू होते ही खत्म हो जाये वो बात-बात नहीं होती "
किसी को समझ नहीं आया सभी ने वाह-वाह कह दिया इसपे दूसरा बोला " वो बात-बात नहीं -2 जो आप के साथ नहीं  और उन बातो मे भी कही आपकी बात नहीं "   फिर से किसी को समझ नहीं आया सभी ने वाह-वाह कह दिया एक आदमी जो दोनों को छेल रहा था उसे रहा नहीं गया उसने कहा " बस करो- बस करो कासमसे  ये रात नहीं होती  इन निकमो की बात नहीं होती और हमारी इनसे मुलाकात नहीं होती "  |

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