ऐ मेरे हम साये , तेरे बिना अब तो मेरे जीवन अधुरा है |
मानती हु की अब तुझे मेरी जरुरत नहीं है ||
तो ये भी जान ले, मैं आधी हो गयी हु |
क्योकि मेरा अक्स मेरे साथ नहीं है ||
तू ना गम करना मेरी इस बदहाली पर |
क्योंकि जिससे अब भी चाहत करती हु ||
वो सिर्फ तू है , कोई दूसरा नहीं है |||
अब तो जमीन पर पैर नहीं पड़ते मेरे |
क्योंकि पैरो तले जमीन ही नहीं है ||
जो बचा है ,अब वो तो मोम की एक काली बाती है |
जिसमे अब कोई रौशनी ही नहीं है ||
(jannu barua )
मानती हु की अब तुझे मेरी जरुरत नहीं है ||
तो ये भी जान ले, मैं आधी हो गयी हु |
क्योकि मेरा अक्स मेरे साथ नहीं है ||
तू ना गम करना मेरी इस बदहाली पर |
क्योंकि जिससे अब भी चाहत करती हु ||
वो सिर्फ तू है , कोई दूसरा नहीं है |||
अब तो जमीन पर पैर नहीं पड़ते मेरे |
क्योंकि पैरो तले जमीन ही नहीं है ||
जो बचा है ,अब वो तो मोम की एक काली बाती है |
जिसमे अब कोई रौशनी ही नहीं है ||
(jannu barua )
उम्मीद का दिया जलता रहे......
ReplyDeleteगहरे अहसास।
dhanywad atul ji...
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