Wednesday, November 30, 2011

भूल गया की धड़कना भी है उसको .....

जो चेहरे को मैंने आंसुओ  से धोया उसमे बस नमी की कमी थी |
जो मेरी धड़कनों ने धड़कना चाहा तो धड़कन के लिए बस दिल की कमी थी ||

जो अब सब कुछ पाने की चाहत कर बैठा मेरा ये दिल |
तो भूल गया की धड़कना भी है उसको ||

उस बेचारे ने प्यार को ही धड़कन समझ लिया |
और प्यार करते- करते धड़कना ही भूल गया   ||

अब जब प्यार दूर गया तो उसका धड़कन भी कही खो गया |
अब तो ये हाल है की वो कुछ नहीं है एक घड़ी बन चूका है || 
जो कई घंटे लेट चल रहा है  |||

3 comments:

  1. बंद घडी भी दिन में दो बार सही वक्‍त बताती है....
    बहुत खूब लिखा आपने।

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  2. atul ji aap ka blog konsa hai ??

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