जो चेहरे को मैंने आंसुओ से धोया उसमे बस नमी की कमी थी |
जो मेरी धड़कनों ने धड़कना चाहा तो धड़कन के लिए बस दिल की कमी थी ||
जो अब सब कुछ पाने की चाहत कर बैठा मेरा ये दिल |
तो भूल गया की धड़कना भी है उसको ||
उस बेचारे ने प्यार को ही धड़कन समझ लिया |
और प्यार करते- करते धड़कना ही भूल गया ||
अब जब प्यार दूर गया तो उसका धड़कन भी कही खो गया |
अब तो ये हाल है की वो कुछ नहीं है एक घड़ी बन चूका है ||
जो कई घंटे लेट चल रहा है |||
बंद घडी भी दिन में दो बार सही वक्त बताती है....
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा आपने।
dhanywad atul ji..
ReplyDeleteatul ji aap ka blog konsa hai ??
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