Thursday, July 5, 2012

सम्भलने की शुरुआत हो गयी ....

दिल सम्भला नहीं ....
पर सम्भलने की शुरुआत हो गयी ,
जो पड़े अब, खुशियों को बटोरना  ...
तो दोनों हाथों को फैलाये, तैयार है हम  | 

हर खुशियों को जो मुसकुरा कर बांटे ..
हम तो बस उन्हीं से प्यार करते है ...
किसी सूरत का अब मोह कहा  ,
हम तो बस, अपनी हंसी का इंतजार करते है | 

किस्मत की कोई चाबी ना बनी ,
जो नयी उम्मीदे बाँट पाये,
पर दरवाजों तक पहुँच लोट आना ,
ना कभी आदत थी , ना ही फितरत है , हमारी ..
जो चाहत थी , मांग नहीं पाये तो क्या ??
कम से कम अब तो, उनकी खुशियों की दुआ करते है |




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