बादलों में मोती खोजने चले है ,
ना उम्मीदी की रात छोड़ ...
हँसते- मुस्कुराते नयी सुबह को ,
तलाशते , थोड़ा घबराते चले है |
शबद हो चुकी , जिन्दगी में ..
क्या बदलेगी ?? बस एक सवाल है ...
पर जब भी सोचते है ...एक डर सा लगता है ,
नया क्या खोजूं ?? जब कुछ नया नहीं है |
दुनिया के सन्नाटो से ,
छेड़ - छाड़ अब नहीं ...??
सिर्फ ख़ुशी की चाहत में ,
अनसुनी आवाज अब नहीं .. |
जो मिला था , क्या कम था ??
जो नयी शुरुआत चाहिए ....
जिन्दगी की गाड़ी छुट चुकी ,
उसे दौड़ कर पकड़ने से अच्छा है ..
कुछ देर रुक, दूसरी ट्रेन का इंतजार कर ले |
apni ek book print karba kar mujhe bhi bhej dena............
ReplyDeleteवाह ,,, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना ,,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: दोहे,,,,
जो मिला था , क्या कम था ??
ReplyDeleteजो नयी शुरुआत चाहिए ....
क्या शानदार प्रश्न है!!