यादों की राख से ,
जाने क्या अब पाये |
बावरे थे , हम ...
जो जिन्दगी को ...
अब तक समझ ना |
हर राह पर, कुछ कह रही थी ,
जो रुके है , अब ...
तो सोचे किस दिशा में है |
ना सोचो दुखी है , अफसोस का सफ़र ..
अब .... ना चाहते हुए भी ख़त्म हुआ |
अब समझ चुके है की कमी ,
बस जिन्दगी की साथी है ...
हर चाह के साथ नयी हो जाती है |
वाह
ReplyDeleteअच्छी रचना
वाह क्या बात है.बहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
अब समझ चुके है की कमी ,
ReplyDeleteबस जिन्दगी की साथी है ...
हर चाह के साथ नयी हो जाती है |
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,,
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अब समझ चुके है की कमी ,
ReplyDeleteबस जिन्दगी की साथी है ...
हर चाह के साथ नयी हो जाती है |