Sunday, July 1, 2012

हमने तुमसे .... प्यार, क्यों किया ??


हज़ार राहें मिली चलने को ...
ना जाने लड़खडाते
क़दमों ने साथ, क्यों ना दिया?
जो थोड़ा गम था, 
तो थोड़ी ख़ुशी की जरूरत थी.
प्यार जो मुझसे किया ,
तो तक़दीर पर ऐतबार,
क्यों ना किया ??

कौन ना चाहे खुश रहना ..
जो अपनी ही खुशियाँ प्यारी थी ,
तो हमसे कह देते ,
की ये आज- कल का है प्यार  
हमसे अपनी मज़बूरी का इजहार 
क्यों ना किया ???

किस हक से माँगू तुम्हें  ...
जब हम एक तरफे प्यार के शिकार हुए ,
और जो तुमने सिर्फ खेल - खेला दिल का ,
तो ना लोटने की उम्मीद दे जाते .. |

यूँ तड़पता छोड़ गये हो ...
क्या यही गलती थी .. |
की हमने तुमसे ....
प्यार, क्यों किया ??



12 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें

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  2. उत्कृष्ट भाव -

    मिली हजारों राह |
    कम नहीं थी चाह-
    पर आप्सन बहुत थे -
    क्या करते ?
    भटक गए -
    भूलभुलैया में अटक गए |

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  3. धन्यवाद बहुत - बहुत आभार .....

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  4. बहुत सुन्दर......
    प्यारी रचना...

    अनु

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  5. प्यार में अक्सर ऐसी गलतियों की सजा मिल जाती है जो होती नहीं हैं ...
    उदास मन की रचना ...

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  6. किस हक से माँगू तुम्हें ...
    जब हम एक तरफे प्यार के शिकार हुए ,
    और जो तुमने सिर्फ खेल - खेला दिल का ,
    तो ना लोटने की उम्मीद दे जाते .. |

    यूँ तड़पता छोड़ गये हो ...
    क्या यही गलती थी .. |
    की हमने तुमसे ....
    प्यार, क्यों किया ??

    bahut hi badhiya rachana hai
    i like ur kavita...<3

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  7. बहुत सुंदर रचना।

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