Friday, July 20, 2012

अब के सावन मेघा रे ...

अब के सावन मेघा रे ,
जो तूँ ना आयी उनके साथ
तो मेरी प्यास तेरे आने से भी ,
बुझ ना पायेगी |

और किसी झरोखे से ....
उन्हें खोजती मेरी नज़र ...
आँसुओं में भीगकर,
मायुसी में कहीं खो जाये
गी  |

कुछ तो कर जा ऐसा,
की हमें फिरे से जीने की कोई वजह मिल जाये ,
दूर रहे सदा वो हमसे ....
पर फिर भी एक हसीन मुलाकात में ..

...खोया सब कुछ हमे फिर दे जा |

जरा सोच , जब दो मन एक ही आंगन में मिल जायेगे ...
तो दो दिल के बीच की सारी दीवारे भी मिट जायेगे ...
तब तन - बदन में आग लगेगी और हम भींगकर भी सावन में जल जायेगे |

10 comments:

  1. sundar kavita barish me bhigti yaade.
    wah nice abhivyakti hai.....♥

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  2. अब सावन आया है...तो मिलवा कर ही रहेगा...
    खूब भीगिये मिल कर...

    अनु

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के  चर्चा मंच  पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  4. बहुत सुंदर !
    सावन और मेघ को
    हम भी डाँठ लगायेंगे
    देखते हैं कैसे नहीं
    इस बार वो उनको
    भी लेकर आयेंगे!!

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  5. आखिर वो इन्तजार ख़त्म हो ही जाएगा सावन आँगन में खुशियाँ बरसायेगा बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति

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  6. बहुत सुन्दर
    अब तो सावन जरुर उनको साथ ले आएगा
    भावो को खूबसूरती से व्यक्त करती रचना:-)

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  7. सावन की रचना ..

    सुंदर !!

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  8. वाह ... आपकी आना तो उन्हें साथ लाना ... सावन से गिला ...

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  9. तो दो दिल के बीच की सारी दीवारे भी मिट जायेगे ...
    तब तन - बदन में आग लगेगी और हम भींगकर भी सावन में जल जायेगे |

    wah... bahut khub:)

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  10. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




    जब दो मन एक ही आंगन में मिल जाएंगे ...
    तो दो दिलों के बीच की सारी दीवारें भी मिट जाएंगी ...
    तब तन - बदन में आग लगेगी
    ...और हम भींगकर भी सावन में जल जाएंगे

    वाऽह ! क्या बात है !
    POINT जी :)
    इस बार सावन के महीने का इंतज़ार रहेगा आपकी कविता की स्मृति के साथ ...


    नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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