कभी ये बात की हम --
दो बदन एक जान है ..
अपने उस मेहबूबा से
कहा करते थे ..
दो बदन एक जान है ..
अपने उस मेहबूबा से
कहा करते थे ..
बदले में तुम्हारा हक है -
सुनकर बड़ा अच्छा लगता था |
सुनकर बड़ा अच्छा लगता था |
अब भी मेरे ये कान ...
यहीं सुनना चाहते है |
पर अब उनकी याद
बिन बुलायें आ जाती है ,
लेकिन वो बुलाने के बाद भी नहीं आते |
बिन बुलायें आ जाती है ,
लेकिन वो बुलाने के बाद भी नहीं आते |
जो रात नींद बनकर
आँखों में समाना चाहती है --
तो दिल थकते हुएँ भी ...
उनके जवाब का
इंतजार करता , रह जाता हैं |
आँखों में समाना चाहती है --
तो दिल थकते हुएँ भी ...
उनके जवाब का
इंतजार करता , रह जाता हैं |
इंतजार एक सा है , क्या प्यार ...
अब बदल चूका है ??
बहुत सार्थक सन्देश देती प्रभावी पंक्तियाँ.
ReplyDeleteआभार संजय भास्कर ज़ी |
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