रूठे हो तुम ... तो कह दो मुझे ,
ना करनी है , अगर कोई बात ...
तो किसी इशारे से ही समझा दो ,
हम भी तो देखे, कोई हमसे ....
कैसे और कितना रूठ सकता है ??
लेकिन जब ये सोचते है ,
की वो भी मेरा ही दिया कोई प्यार हैं ...
जो आपकी नाराजगी की
" शायद वो वजह है ..." |
कुछ कहो , यूँ चुप ना रहों
" मैं कब से तो खोज रही हूँ ..."
आखिर मेरे प्यार के आँचल में छुपा
कौन सा निर्दयी कॉटा चुभ गया ?? आपको |
मैं पूछती हूँ , क्या आप ख़ुशी हो ??
" अपनी हँसी खोकर ..."
गुस्से में तो सिर्फ गलतियाँ होती है ... |
मैं मानती हूँ , मैंने गलती ही है ...
अब आप ही सोचो जब हमें प्यार है ...
तो क्यों ये सोचते हो ?? " की मैं गलत हूँ ..."
कहीं आप किसी गलती से प्यार, तो नहीं करते हों ??
ना करनी है , अगर कोई बात ...
तो किसी इशारे से ही समझा दो ,
हम भी तो देखे, कोई हमसे ....
कैसे और कितना रूठ सकता है ??
लेकिन जब ये सोचते है ,
की वो भी मेरा ही दिया कोई प्यार हैं ...
जो आपकी नाराजगी की
" शायद वो वजह है ..." |
कुछ कहो , यूँ चुप ना रहों
" मैं कब से तो खोज रही हूँ ..."
आखिर मेरे प्यार के आँचल में छुपा
कौन सा निर्दयी कॉटा चुभ गया ?? आपको |
मैं पूछती हूँ , क्या आप ख़ुशी हो ??
" अपनी हँसी खोकर ..."
गुस्से में तो सिर्फ गलतियाँ होती है ... |
मैं मानती हूँ , मैंने गलती ही है ...
अब आप ही सोचो जब हमें प्यार है ...
तो क्यों ये सोचते हो ?? " की मैं गलत हूँ ..."
कहीं आप किसी गलती से प्यार, तो नहीं करते हों ??
बहुत खूब।
ReplyDeleteधन्यवाद धीरेन्द्र अस्थाना ज़ी |
Deleteअपनी हँसी खोकर ..."
ReplyDeleteगुस्से में तो सिर्फ गलतियाँ होती है ... |
...बिल्कुल सच कहा है...बहुत सुन्दर रचना
धन्यवाद Kailash Sharma ज़ी |
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (17-06-2014) को "अपनी मंजिल और आपकी तलाश" (चर्चा मंच-1646) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
धन्यवाद रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ज़ी |
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद Pratibha Verma ज़ी |
Deleteधन्यवाद संजय भास्कर ज़ी |
ReplyDeleteधन्यवाद सुशील कुमार जोशी ज़ी |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद Vaanbhatt ज़ी |
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