Sunday, June 15, 2014

मेरे प्यार के आँचल में

रूठे हो तुम ... तो कह दो मुझे ,
ना करनी है , अगर कोई बात ...
तो किसी इशारे से ही समझा दो ,
हम भी तो देखे, कोई हमसे ....
कैसे और कितना रूठ सकता है  ??

लेकिन जब ये सोचते है , 
की वो भी मेरा ही दिया कोई प्यार हैं ...
जो आपकी नाराजगी की
 " शायद वो वजह है ..." |


कुछ कहो , यूँ चुप ना रहों
मैं कब से तो खोज रही हूँ ..."
आखिर मेरे प्यार के आँचल में छुपा 
कौन सा निर्दयी कॉटा चुभ गया ?? आपको |

मैं पूछती हूँ , 
क्या आप ख़ुशी हो ?? 
" अपनी हँसी खोकर ..."
गुस्से में
 तो सिर्फ गलतियाँ होती है ... |

मैं मानती हूँ , मैंने गलती ही है ...
अब आप ही सोचो जब हमें प्यार है ...
तो क्यों ये सोचते हो ?? " की मैं गलत हूँ ..."
कहीं आप किसी गलती से प्यार, तो नहीं करते हों ??

12 comments:

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    1. धन्यवाद धीरेन्द्र अस्थाना ज़ी |

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  2. अपनी हँसी खोकर ..."
    गुस्से में तो सिर्फ गलतियाँ होती है ... |
    ...बिल्कुल सच कहा है...बहुत सुन्दर रचना

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    1. धन्यवाद Kailash Sharma ज़ी |

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (17-06-2014) को "अपनी मंजिल और आपकी तलाश" (चर्चा मंच-1646) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    1. धन्यवाद रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ज़ी |

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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    1. धन्यवाद Pratibha Verma ज़ी |

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  5. धन्यवाद संजय भास्‍कर ज़ी |

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  6. धन्यवाद सुशील कुमार जोशी ज़ी |

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  7. सुन्दर प्रस्तुति...

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