" ना रुसवा ..होने का है ...कोई डर मुझे ..."
" ना कयामत का है ,कोई खोफ ..| "
" ऐ मेरे मेहबूब .. तू तो खुद ...
" एक कयामत " है,
और मुझपर होता, हर पल कहर तेरा |
तो अब तू ही बता ...??
मैं ऱोज तड़पता हूँ, जो तुझें याद कर |
मुझें यकीं नहीं है, कयामत जब आयेगी...
शायद हीं तेरे दिए दर्द को भुला पायेगी ??
" क्यों तेरी गलियों में ना आऊँ ??
मोहोब्बत ना होगी, तुझसे तो सहीं ..
हम अपना जख्म ताज़ा कर जायेगे " |
" नफरत भरी निगाहों से ना देख मुझे ..."
" मेरे लबो में बसा है ,बेसुमार प्यार तेरा | "
हँस दें ज़रा बद्दुआओं देकर,
इसमें तो मेरा हीं हक़ है |
अगर मुझें उजड़ता देख,
जो तेरी आँखें भी चमकती है ...
खुद को तेरा परवाना कहलाने
एक फक्र है |
खुशनसीबी है, ये की खाक हो जाऊंगा
तेरे इश्क में,
बस एक इल्तजा है ...
की तेरे सुरमें में मेरी राख की चंद छिटें हो |
" मुझे यकीं है ..ना तुझे
आज मेरी जरूरत है "
और ना कल होगी ..|"
" पर याद रखना जब तक ..
जीना होगा --
इस दिल में सिर्फ तू होगी,
वरना साँस लेने से, हसीन मौत होगी |"
" ना कयामत का है ,कोई खोफ ..| "
" ऐ मेरे मेहबूब .. तू तो खुद ...
" एक कयामत " है,
और मुझपर होता, हर पल कहर तेरा |
तो अब तू ही बता ...??
मैं ऱोज तड़पता हूँ, जो तुझें याद कर |
मुझें यकीं नहीं है, कयामत जब आयेगी...
शायद हीं तेरे दिए दर्द को भुला पायेगी ??
" क्यों तेरी गलियों में ना आऊँ ??
मोहोब्बत ना होगी, तुझसे तो सहीं ..
हम अपना जख्म ताज़ा कर जायेगे " |
" नफरत भरी निगाहों से ना देख मुझे ..."
" मेरे लबो में बसा है ,बेसुमार प्यार तेरा | "
हँस दें ज़रा बद्दुआओं देकर,
इसमें तो मेरा हीं हक़ है |
अगर मुझें उजड़ता देख,
जो तेरी आँखें भी चमकती है ...
खुद को तेरा परवाना कहलाने
एक फक्र है |
खुशनसीबी है, ये की खाक हो जाऊंगा
तेरे इश्क में,
बस एक इल्तजा है ...
की तेरे सुरमें में मेरी राख की चंद छिटें हो |
" मुझे यकीं है ..ना तुझे
आज मेरी जरूरत है "
और ना कल होगी ..|"
" पर याद रखना जब तक ..
जीना होगा --
इस दिल में सिर्फ तू होगी,
वरना साँस लेने से, हसीन मौत होगी |"
भावनाओं को बखूबी लिखा है ..मन की कश्मकश को प्रश्न के माध्यम से उकेरा है .. अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद ज़ी |
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