बेहद कम शब्द है , पास
पर जो समझा दुनिया को ,
अगर समझा पाये कभी ,
तो गागर में सागर ही होगा |
लिया... एक्साम्प्ल कीमे का ,
जिस जानवर का निकालों ...
सभी का बन जाता है ...
पर हमने तो इंसानियत का कीमा देखा है ...
मैं अगर अब इन्सान को जानवर कह दूँ ,
तो ये जानवरों के वजूद से नाइंसाफी ही होगी |
अब तो इंसानियत जानवरों में दिखती है
-- लाचारी , बेबसी ..में
और मनुष्य कीड़े - मकोडो सा
हर जगह फैला सा लगता है |
जो कमजोर होता है ,
ताकतवर के पैरों तले कुचला जाता है....
और एक सच ये भी है ,
ताकतवर बनने के लिए ...
कुचलना भी जरुरी हो जाता है |
पर जो समझा दुनिया को ,
अगर समझा पाये कभी ,
तो गागर में सागर ही होगा |
लिया... एक्साम्प्ल कीमे का ,
जिस जानवर का निकालों ...
सभी का बन जाता है ...
पर हमने तो इंसानियत का कीमा देखा है ...
मैं अगर अब इन्सान को जानवर कह दूँ ,
तो ये जानवरों के वजूद से नाइंसाफी ही होगी |
अब तो इंसानियत जानवरों में दिखती है
-- लाचारी , बेबसी ..में
और मनुष्य कीड़े - मकोडो सा
हर जगह फैला सा लगता है |
जो कमजोर होता है ,
ताकतवर के पैरों तले कुचला जाता है....
और एक सच ये भी है ,
ताकतवर बनने के लिए ...
कुचलना भी जरुरी हो जाता है |
धन्यवाद ज़ी |
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अहसास समेटे ये पोस्ट लाजवाब है |
ReplyDelete