" यूँ तो हर रिश्तें को कोई नाम ...
दिया नहीं जाता .." |
" पर जो रिश्ता बिन मांगे ...
दूरियाँ कम करता जाता है " |
" वो रिश्ता दिल के और
करीब हो जाता है " |
" और जब कभी -भी होता है ....
उनका ज़िक्र यूँ ही बातों में .." |
" दिल बार -बार धड़ककर ...
उनका ऐहसास दे जाता है " |
" जो हम उनसें अब तक
ना मिल पाये है , तो क्या ??
" अब भी यादों और ख्वाबों में
उनका ही चेहरा ..साथ रहता है " |
ना हों यकीन तो ज़िक्र करके देखों
हम तो उनके ऐहसासों ....
अब तो , पाने की होड़ में है |
दिया नहीं जाता .." |
" पर जो रिश्ता बिन मांगे ...
दूरियाँ कम करता जाता है " |
" वो रिश्ता दिल के और
करीब हो जाता है " |
" और जब कभी -भी होता है ....
उनका ज़िक्र यूँ ही बातों में .." |
" दिल बार -बार धड़ककर ...
उनका ऐहसास दे जाता है " |
" जो हम उनसें अब तक
ना मिल पाये है , तो क्या ??
" अब भी यादों और ख्वाबों में
उनका ही चेहरा ..साथ रहता है " |
ना हों यकीन तो ज़िक्र करके देखों
हम तो उनके ऐहसासों ....
अब तो , पाने की होड़ में है |
absolutely amazinp piece...loved the thought-process!!
ReplyDeleteधन्यवाद संजय भास्कर ज़ी |
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