Wednesday, June 18, 2014

ज़िक्र यूँ ही बातों में ..

" यूँ तो हर रिश्तें को कोई नाम ...
दिया नहीं जाता .." |
" पर जो रिश्ता बिन मांगे ...
दूरियाँ कम करता जाता है " |

" वो रिश्ता दिल के और
करीब हो जाता है " |
" और जब कभी -भी होता है ....
उनका ज़िक्र यूँ ही बातों में .." |

" दिल बार -बार धड़ककर ...
उनका ऐहसास दे जाता है " |
" जो हम उनसें अब तक 

ना मिल पाये है , तो क्या ??

" अब भी यादों और ख्वाबों में
उनका ही चेहरा ..साथ रहता है " |

ना हों यकीन तो ज़िक्र करके देखों 
हम तो उनके ऐहसासों ....
अब तो , पाने की होड़ में है  |



2 comments:

  1. absolutely amazinp piece...loved the thought-process!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद संजय भास्‍कर ज़ी |

      Delete