Friday, December 2, 2011

तुम दुबारा लोटोगे ये ऐतबार कर लूगी ......

ना तुम आये, ना तुम्हारी आवाज आई |
फिर भी कानो में कोई आहट बार -बार आकार ||
मुझे नींद से उठा जाती है |||

अगर ये तुम हो तो क्यों मुझे रुलाते हो |
यु दूर रहकर क्या तुम खुश रह पाते हो ||
तो फिर आ जाओ ||
चाहे उसे बाद जितना चाहो उतना सताओ |||

अब तुम्हारे बिन जिना एक घुटन सी लगती है |
जिसमे मैं ही बस शिश्क रही हु ||
और कोई अपना उसमे उदासी का काला दुआ भरता जा रहा है |||

अगर तुमको नहीं है आना |
तो ये बताने ही कम से कम आ जाना की मैं नहीं लोटुगा ||

पल भर के लिए ही तुम्हे दिल खोलकर प्यार कर लूगी |
जो ना देख पाऊ जिंदगी भर तो भी तुम दुबारा लोटोगे ये ऐतबार कर लूगी ||

2 comments:

  1. एतबार के सहारे कट जाती है जिंदगी... गर एतबार ही खत्‍म हो जाए तब क्‍या....???
    सुंदर प्रस्‍तुति।

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