Tuesday, December 27, 2011

जब मेरा प्यार, सिर्फ उम्मीदे देता है....

जो नाम लेती रहूँ -- तुम्हारा 
पता नहीं कब शाम हो जाये |
दूरियाँ  बढती ही जाये ...
पर प्यार कम ना हो पाये |

जो मांगू कुछ भगवान से 
तो मांगू सिर्फ प्यार तुम्हारा |
जो हर दिन के साथ 
नयी सुबह लाये ...
और हमारी उम्र के साथ ...
बढता ही चला जाये |

अब तो मेरी ...
ये सिर्फ चाहत है |
की तेरी हर ख़ुशी 
मेरी ख़ुशी हो ....
और तेरा हर गम 
सिर्फ मेरा गम  |

यूँ दूर रहना 
अब तो मुझसे 
सहा नहीं जाता |
जो तुम साथ होते हो , 
तब भी मुझे चैन नहीं आता |

ये अकेलापन ही मुझे ...
हर-पल बेचैन कर जाता है |
जब मेरा प्यार, सिर्फ उम्मीदे देता है ,
और अपना कहा पूरा नहीं कर पाता है |

12 comments:

  1. PYAR KI MOHK ABHIVYAKTI. MERE BLOG PAR AAPKA SVAGAT HAE .

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  2. dil ki gahraaiyon ko chhooti kavita.sundar prastuti.

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  3. उनसे मिलने की चाह अकेलेपन का एहसास कहाँ होने देती है ... सुन्दर प्रस्तुति ...

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  4. बेहतरीन एहसास!

    सादर

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  5. यूँ दूर रहना
    अब तो मुझसे
    सहा नहीं जाता |
    जो तुम साथ होते हो ,
    तब भी मुझे चैन नहीं आता |

    Vaah Point ji bahut gahari abhivyktiyon ko kafi sadhe andaj me darshaya hai .... abhar ke sath hi badhai.

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति...

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  7. सुंदर रचना।


    नए साल की शुभकामनाएं.....

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  8. प्यार को परिभाषित करने वाली रचना,
    सचमुच ही लाजवाब है।

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  9. बहुत-बहुत आभार आप सभी का

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  10. काफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर

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  11. चाहत पूरी होगी!! :)
    दिल से लिखी गयी पंक्तियाँ!!

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