जो नाम लेती रहूँ -- तुम्हारा
पता नहीं कब शाम हो जाये |
दूरियाँ बढती ही जाये ...
पर प्यार कम ना हो पाये |
जो मांगू कुछ भगवान से
तो मांगू सिर्फ प्यार तुम्हारा |
जो हर दिन के साथ
नयी सुबह लाये ...
और हमारी उम्र के साथ ...
बढता ही चला जाये |
अब तो मेरी ...
ये सिर्फ चाहत है |
की तेरी हर ख़ुशी
मेरी ख़ुशी हो ....
और तेरा हर गम
सिर्फ मेरा गम |
यूँ दूर रहना
अब तो मुझसे
सहा नहीं जाता |
जो तुम साथ होते हो ,
तब भी मुझे चैन नहीं आता |
ये अकेलापन ही मुझे ...
हर-पल बेचैन कर जाता है |
जब मेरा प्यार, सिर्फ उम्मीदे देता है ,
और अपना कहा पूरा नहीं कर पाता है |
PYAR KI MOHK ABHIVYAKTI. MERE BLOG PAR AAPKA SVAGAT HAE .
ReplyDeletedil ki gahraaiyon ko chhooti kavita.sundar prastuti.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteउनसे मिलने की चाह अकेलेपन का एहसास कहाँ होने देती है ... सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबेहतरीन एहसास!
ReplyDeleteसादर
यूँ दूर रहना
ReplyDeleteअब तो मुझसे
सहा नहीं जाता |
जो तुम साथ होते हो ,
तब भी मुझे चैन नहीं आता |
Vaah Point ji bahut gahari abhivyktiyon ko kafi sadhe andaj me darshaya hai .... abhar ke sath hi badhai.
बहुत सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteनए साल की शुभकामनाएं.....
प्यार को परिभाषित करने वाली रचना,
ReplyDeleteसचमुच ही लाजवाब है।
बहुत-बहुत आभार आप सभी का
ReplyDeleteकाफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर
ReplyDeleteचाहत पूरी होगी!! :)
ReplyDeleteदिल से लिखी गयी पंक्तियाँ!!