मैं चली जो हवाओ के साथ
हवाओ ने पूछा कहाँ तू चली
मैं भी क्या कहती
कह दिया -
प्यार की तलाश में |
इस पर हवाओ ने कहा :-
ऐ नादान ना जा प्यार की गली
इस प्यार में अच्छे -अच्छो की ना चली
ना जा किसी की तलाश में ,
जिंदगी ही है , एक टेडी-मेडी गली |
मैंने कहा दिया हवाओ को
ना रोको मुझे |
मुझे तो बुला रहे है, ये फिजा ...
बस ये सोचो मैं ...
अपने दिल में खिल रहे,
फूलो को ही तोड़ने चली |
पहली बार इस ब्लॉग पर आई हूँ बहुत अच्छा लगा अच्छी प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाई |
आशा
आपके प्रेम के लिए बहुत - बहुत आभार
ReplyDeletevery nice....Sampa Barua
ReplyDeleteसच प्यार पर किसी का बस नहीं...जब होना हो कोई रोक नहीं सकता....
ReplyDeleteसुन्दर प्यारभरी प्रस्तुति...
बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
waah khoobsoorat panktiyaan
ReplyDeleteआपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत प्रेमपगी भावपूर्ण प्रस्तुति..
ReplyDeleteप्यार की तलाश भी क्या है .....जिसे ना कोई खत्म करना चाहता हैं ना यह खुद पूरी होती है ....क्यों होता है ऐसा कि हर एक मंजिल से शुरू होती है यह तलाश ....डूब जाने का दिल करता है इन गहराइयों में .... जानते हुए भी कि फिर ना मिलेगा किनारा कभी .... अदृश्य तीलिकाओं के पिजरे में बंधकर ..स्वच्छंद हवाओं की तरह उड़ने का एह्शास... मानों हर पल ढूँढता हो कोई एक नई दुनिया .... क्यों नहीं मिलती मंजिल ... एक तृष्णा बनकर जकड लेती है ...अमृत पीकर भी ...जाग उठती है फिर एक कभी ना बुझने वाली प्यास ....ऐसी ही है ..ये प्यार की तलाश!!!
ReplyDeleteसुंदर अहसास।
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्दों का सयोंजन , दिल को छू लेने वाली लाजवाब रचना के लिए बधाई .
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com