Friday, December 16, 2011

मैं चली जो हवाओ के साथ ....

मैं चली जो हवाओ के साथ 
हवाओ ने पूछा कहाँ तू चली 
मैं भी क्या कहती 
कह दिया -
प्यार की तलाश में |

इस पर हवाओ ने कहा :-
ऐ नादान ना जा प्यार की गली 
इस प्यार में अच्छे -अच्छो की ना चली 
ना जा किसी की तलाश में ,
जिंदगी ही है , एक टेडी-मेडी गली |

मैंने कहा दिया हवाओ को 
ना रोको मुझे |
मुझे तो बुला रहे है, ये फिजा ...
बस ये सोचो मैं ...
अपने दिल में खिल रहे, 
फूलो को ही तोड़ने चली |

12 comments:

  1. पहली बार इस ब्लॉग पर आई हूँ बहुत अच्छा लगा अच्छी प्रस्तुति |
    बधाई |
    आशा

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  2. आपके प्रेम के लिए बहुत - बहुत आभार

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  3. सच प्यार पर किसी का बस नहीं...जब होना हो कोई रोक नहीं सकता....
    सुन्दर प्यारभरी प्रस्तुति...

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  4. आपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  5. बहुत प्रेमपगी भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  6. प्यार की तलाश भी क्या है .....जिसे ना कोई खत्म करना चाहता हैं ना यह खुद पूरी होती है ....क्यों होता है ऐसा कि हर एक मंजिल से शुरू होती है यह तलाश ....डूब जाने का दिल करता है इन गहराइयों में .... जानते हुए भी कि फिर ना मिलेगा किनारा कभी .... अदृश्य तीलिकाओं के पिजरे में बंधकर ..स्वच्छंद हवाओं की तरह उड़ने का एह्शास... मानों हर पल ढूँढता हो कोई एक नई दुनिया .... क्यों नहीं मिलती मंजिल ... एक तृष्णा बनकर जकड लेती है ...अमृत पीकर भी ...जाग उठती है फिर एक कभी ना बुझने वाली प्यास ....ऐसी ही है ..ये प्यार की तलाश!!!

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  7. बहुत ही सुन्दर शब्दों का सयोंजन , दिल को छू लेने वाली लाजवाब रचना के लिए बधाई .

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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