कोई और हँसी
इतनी सुन्दर कहा
जितना प्यारा है ,
मेंहबूब मेरा |
अब तो लोग से भी ,
कहते डर सा
लगता है |
कही कोई छिन ना
ले मुझसे
ये मेरी हँसी |
लेकिन अब में अपनी हँसी
छुपा भी नहीं पाती हूँ |
जब कभी भी मुस्कराती हूँ ,
उन्हें सामने ही पाती हूँ |
पर अगर मैं सच कहूँ तो |
मेरी ये बेकरारी अब ,
डर में बदल सी
जा रही है |
और अब तो
उनके साथ रहूँ |
या दूर
बस उनसे
कही बिछड़ ना
जाऊ इस डर
से अधमरी
सी हो जा रही हूँ |
इतनी सुन्दर कहा
जितना प्यारा है ,
मेंहबूब मेरा |
अब तो लोग से भी ,
कहते डर सा
लगता है |
कही कोई छिन ना
ले मुझसे
ये मेरी हँसी |
लेकिन अब में अपनी हँसी
छुपा भी नहीं पाती हूँ |
जब कभी भी मुस्कराती हूँ ,
उन्हें सामने ही पाती हूँ |
पर अगर मैं सच कहूँ तो |
मेरी ये बेकरारी अब ,
डर में बदल सी
जा रही है |
और अब तो
उनके साथ रहूँ |
या दूर
बस उनसे
कही बिछड़ ना
जाऊ इस डर
से अधमरी
सी हो जा रही हूँ |
वाह जी वाह....बहुत ही सुन्दर कविता...गहरे उतर गयी..
ReplyDeleteबीछडने का डर तो हमेशा बना रहता है प्रेम में
ReplyDeleteसुंदर रचना !
मेरी नई रचना ख्वाबों में चले आओ
बहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
kisi ko paa lene ke baad bichhudne ka dar ban jana swabhavik hai.bahut achcha likha.
ReplyDeleteआप सभी का आभार जी ....
ReplyDeleteजब कभी भी मुस्कराती हूँ
ReplyDeleteउन्हें सामने पाती हूँ,....बेहतरीन पन्तियाँ खुबशुरत पोस्ट....
मेरी नई रचना के लिए महत्व मे click करे
पर अगर मैं सच कहूँ तो |
ReplyDeleteमेरी ये बेकरारी अब ,
डर में बदल सी
जा रही है |
vah abhar .
वाह...!!!
ReplyDeleteगहरे अहसास।
सुंदर रचना।
thanks aap sabhi ka ...
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