ये दिल की दुनिया बड़ी अजीब है |
अन्दर से कोई टूट-टूटकर रोता है ||
पर ज़माने के सामने बहरूपिया बन |||
अपनी मज़बूरी पर ही हँसता है ||||
और कहते भी हुए भी नहीं शर्माता |
की अब दर्द में ही मजा आने लगा है ||
क्योंकि हँसने से आंसू फुटकर निकल आते है||
और तकलीफे दुनिया की नजरो से छुप नहीं पाती है ||
तुने मुझको दर्द दिया है, प्यार में |
देख उसका जशन मैं हर-दिन मनाती हु ||
तुने मुझे गलती सोचकर भुला दिया है |||
पर मैं तुझे अपनी बाते याद दिलाकर
...........रोज मनाती हु ||||
अन्दर से कोई टूट-टूटकर रोता है ||
पर ज़माने के सामने बहरूपिया बन |||
अपनी मज़बूरी पर ही हँसता है ||||
और कहते भी हुए भी नहीं शर्माता |
की अब दर्द में ही मजा आने लगा है ||
क्योंकि हँसने से आंसू फुटकर निकल आते है||
और तकलीफे दुनिया की नजरो से छुप नहीं पाती है ||
तुने मुझको दर्द दिया है, प्यार में |
देख उसका जशन मैं हर-दिन मनाती हु ||
तुने मुझे गलती सोचकर भुला दिया है |||
पर मैं तुझे अपनी बाते याद दिलाकर
...........रोज मनाती हु ||||
बाँध की दरार से रिसता पानी ... आज सिसकते आंसुओं की मानिंद ....बूँद बूँद कर बिखरता ...बाँध के सीने माँ छुपे अथाह दर्द ... का सन्देश... और आने वाले तूफ़ान का इशारा जब ... बाँध का दर्द दीवारों को तोड़कर बहेगा .... क्यों ना बाँध को बचाया जाए .... रिसती दरार में मरहम की तरह एक मिट्टी का लौंदा ...लगाकर ... प्यार की जमीन से ...
ReplyDeletebahut sundar ji ...
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है
ReplyDeletethanks ashish ji ...
ReplyDeleteसुंदर.... गजब की भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteTumahari kavitaon me vedna ka ek naya roop aur naya treatment hai.
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