Saturday, December 3, 2011

ये आंसू नहीं है , ये तेरा एहसास है....

ये आंसू नहीं है , ये तेरा एहसास है जो हर -पल तुझे याद कर ही बहा जा रहा है |
मुझे याद है, तुने कभी कहा था की ये आंसू नहीं मोती है --जो मेरी हाथो से फिसले जा रहे है ||
लेकिन अब तो क्या मोती ....ये गोंद से हो गये है |||
जो बार -बार धोने के बाद भी चहरे से धुल नहीं पा रहे है ||||

जिन पलकों को देखकर तुमने कहा था , की इसमें जिन्दगी दिखती है ||
वो बेचारे मेरी आंसुओ का बोज ही ठीक से, नहीं उठा पा रहे है |||

अब तो मैंने उदासी का एक नकाब सा लगा रखा है |
जो जल्द ही मेरे चहरे से बनते जा रहे है ||
खुशियों की चाहत करना , अब बेईमानी सी लगती है |||
मेरी तकलीफे , मुझे गम में ही, अब जीना सिखा रहे है ||||

4 comments:

  1. जिंदगी जीना तकलीफें ही सिखाती हैं.....
    सुंदर अहसास।

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  2. वो मांझी मंथर बहती धारा के सहारे गुनगुनाते चप्पू का हाथ थामे ... किनारे को ढूँढता सा ... दूर जाकर उतर गया गहराई में ....अंतर्मन के वश में होकर .. तेज थपेड़े नाव को आगोश में लेने को आतुर ... नाविक के जूनून को चिढाते से .... अब नहीं था चप्पू भी हमराह ... मगर वो मांझी .... जानता है मझधार की गति को ... लड़कर जीत ना सकेगा ...धुंधला सा किनारा ...बुला रहा है फिर से उसी संगीत को सुनाने जो कभी मांझी ने गाया था .... घर लौटते .... डूबते डूबते भी कुछ आहात से स्वर में ... गुनगुना कर छोड़ दिया लहरों के सहारे ... कबतक ... प्रलय की आंधी ...परखती ... एक लहर उसकी भी थी उन्ही थपेडो में ...जिसने फिर से किनारे को सुनाया मांझी का स्वर ..चप्पू का हाथ फिर थामेगा ...वो मांझी

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