Thursday, December 8, 2011

दिल का दर्द .....

अब तो आँखों में अश्क है 
और बचा है... दर्द का शिल-शिला |
यु तो मेरा सफ़र अधुरा है , 
पर मंजिल का है, 
बस मिनटों का फासला ||

दिल का दर्द आँखों से निकल
सिसकियो में
जगह पाता है |
पर मेरा दर्द तो
मेरा दिलबर ही
समझ नहीं पाता है ||

जो मैं अब पूछ बैठू लोगो से
.... हल इस मुश्किल का |
तो हर कोई बस सोचता ही रहा जाता है ,
पर उसकी रंजिस को
कोई प्यार में बदल नहीं पाता है ||

6 comments:

  1. दिल का दर्द दिलवाला ही जाने...

    बहुत खूब लिखा है आपने।

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  2. फिर किसी अपने ने जख्मों को हवा दी हैl
    ये लो चिंगारियों से राख हटाली है l l
    लाख कोसिस की भूलने की भूल ना पाए l
    उनकी यादों ने फिर से याद दिला दी है ll
    फिर से जज्बात की आंधी ग़मों के दरिया में l
    मेरे मांझी ने खुद ही नाव डूबा दी है ll
    कभी जो अपने थे, जो हौंसले का कारण थे l
    आज उस निगाहबां ने मुझको सजा दी है ll
    रात दिन अश्के मोहब्बत के दौर चलते हैं l
    जाने क्यूँ दर्द भरी नब्ज दबादी है ll
    जमीं पर ढूँढता फिरता हूँ एक अक्षर कोl
    जिसने मुहब्बत की ये किताब बना दी है ll
    अब तो सब लोग भी कहते हैं मुझको दीवाना l
    तेरी यादों ने ये पहचान बना दी है ll
    दौर बारिश का सबको खूब सुकूं देता है ल
    पर यहाँ आब में इक आग लगा दी है ll
    तेरी मरजी है गम भी प्यार से कुबूलेंगे l
    खाश एक बात ने ये बात सिखा दी है ll
    होट सी लेंगे एक आह भी ना लेंगे सनम l
    पर ना छोड़ेंगे याद, बात बतादी है !!

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  3. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  4. क्या खूब लिखा है आपने..अच्छा लगा

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