Wednesday, June 6, 2012

वक़्त की कैद में जिन्दगी खो गयी


हुसन और इश्क की दीवारे ,
किसी ज़िद को रोक ना पाएगी |
जिसे जाना है , वो जाये ....
हम तो खुश है , उसकी हंसी से |

रूठने का एब, अब फिजूल लगता है ,
अब तो बस उन्हीं यादों का सहारा है
वरना हम कब के मिट चुके है ,
किसी के इंतजार में |

वक़्त की कैद में जिन्दगी खो गयी ,
हम अब तो जिन्दा है ,
आखिर मोंत का इंतजार करके |

3 comments:

  1. सच है की जाते हुवे कों कोई नहीं रोक सकता ... पर उसके साथ जिंदगी भी चली जाय ... ये अच्छा नहीं ...

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  2. वक़्त की कैद में जिन्दगी खो गयी ,
    हम अब तो जिन्दा है ,
    आखिर मोंत का इंतजार करके |

    सुंदर प्रस्तुति ,,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

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