ये जमीं जीने के लिए बनी ,
और जिन्दगी का साथ कब तक ??
आज जो आवाजें खामोशियों को छोड़ ,
गुन-गुनाना चाहती है , इस जग में ...
कल कहीं खो सी जाएगी, शांति के नभ में |
अपने जिन्दा होने पर यकीन करने ...
हम खुशियों को परवाह करते है |
बुल - बुलों में भरी हवा की तरह ...
खुशियों को भी भरा करते है |
जिन्दगी जीने की हड़बड़ी में ,
किसे अपना माने ... हम ??
अब तो .. अनजान रिश्तों को भी ,
जरूरतों की तरह चुना करते है |
आज फिर जीने की तम्मना है,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
धन्यवाद जी ...
ReplyDeletekya bat hai madam ji kisi ne apke risto ko bhi yese he chuna kya...............
ReplyDeletesunder shabdo aur bhawo ko smete hua ek bahoot hi khoobsoort rachna
ReplyDeleteधन्यवाद आप सभी का बहुत - बहुत आभार ...
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