जब बजे ढोल दिल को कुरेद कर ,
ना सोचियेगा कभी ...
कोई धुन बन या बज पायेगी |
जो दूर से सुने उसे लगेगा .....
कोई हिरनी ख़ुशी से
मदमस्त झूमते जा रही है ,
पास आओगे , तो जानोगे
की तो ये जख्म है ...
जिस पर मरहम लगाते ही
उसकी दर्द भरी चीख
........निकल आ रही है |
बहुत सुंदर रचना,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
kya bat hai madam ji itna sundar post..................
ReplyDeleteआपका सभी का बहुत-बहुत आभार ...
ReplyDeleteyar pic change kar ... acchi ni hai.... pic ko dekhne se feeling mar jati hai.... by the way .... kya khooob likhti ho, bada accha llikhti ho... likhte te raho.. share karte raho, accha lagta hai... is poetry ka har akshar accha lagta hai....
ReplyDeletethanks souravji
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