Thursday, June 28, 2012

ज़माने की चकाचोंध में ...


मैं आज जो, तुम से दूर हूँ , 
उढ गये है , रंग सारे ..
पर खिलने को मजबूर हूँ  |


तेरी यादों में हाले दिल सुनाते ....
अब तो एक अरसा हो गया है  |
मुझे तो लगता है ,  
की ज़माने की चकाचोंध में ...
अब सब कुछ, खो गया है ??


लेकिन फिर भी .....
कोई ज़ख़्म उसे ना मिले ,
बस ये दुआ करते है ...
लुट गये , टूट गये है , तो क्या ??
आज भी उनके किये गुनाहों को ...
खुद पर .... ले लिया करते है |


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