मैं आज जो, तुम से दूर हूँ ,
उढ गये है , रंग सारे ..
पर खिलने को मजबूर हूँ |
तेरी यादों में हाले दिल सुनाते ....
अब तो एक अरसा हो गया है |
मुझे तो लगता है ,
की ज़माने की चकाचोंध में ...
अब सब कुछ, खो गया है ??
लेकिन फिर भी .....
कोई ज़ख़्म उसे ना मिले ,
बस ये दुआ करते है ...
लुट गये , टूट गये है , तो क्या ??
आज भी उनके किये गुनाहों को ...
खुद पर .... ले लिया करते है |
sundar abhivyakti
ReplyDeleteधन्यवाद rajendra ji ...
ReplyDeleteBAWPOORAN KHOOBSOORAT RACHNA.
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