Wednesday, June 20, 2012

आज अनजान सा चल रहा हूँ

ऐसा नहीं की ...
नाराज है , जिन्दगी 
ज़माने ने तुझे ..
कुछ देर ही ...
तनहा छोड़ा है |

आज जो दिन तुम्हारा नहीं ,
तो आने वाले कल की ....
उम्मीद कर जीये जा ... |

बस ये चाहत कर खुद से ..
की कल आने वाली ...
हँसी और ख़ुशी बचाकर ,
आज अनजान सा चल रहा हूँ |



12 comments:

  1. ऐसा नहीं की ...
    नाराज है , जिन्दगी
    ज़माने ने तुझे ..
    कुछ देर ही ...
    तनहा छोड़ा है |.... सही बात हे .... अच्‍छा लीखे हो .....

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  2. धन्यवाद janmjay जी आभार ....

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  3. amane bhar
    ke sath
    ke bavjood
    abtak ke jeevan tanha hi the

    tum sath aaye to laga
    apno sath bhi kuch hota hai
    jinda rahe hum vasho tak
    magar tumane bataya ki jeevan kya hotahai

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  4. thanks mitr sundar likha hai aapne ...

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  5. एक सार्थक........एवं सराहनीय रचना..........

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  6. सुन्दर प्रस्तुति।
    शेअर करने के लिए आभार!

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  7. dhanywad डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) ji & dheerendra ji

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  8. dhanywad Vishaal Charchchit ji

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  9. बहुत सुन्दर...............

    आस बनी रहे...जीने की प्यास बनी रहे....

    अनु

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