Saturday, June 23, 2012

मन की भी बोली लग गयी ....

शूल पर लगी आग , 
उसूलों ने छोड़ा साथ ...
मन की मत मारी गयी |

भटके मन ने ढूंढे ..
बचने के सौ रस्ते .. |
तोल - मोल के ...
नफे नुकसान में ,
मन की भी बोली लग गयी .... |

व्यापारियों के बीच फसा मन ,
अपना मोल मांग ना पाया ....

मन के चोरों से ठगा ,ये रोते ...
मन की मंडी में ,
अपनी भी बोली लगवाया |


13 comments:

  1. कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
    नई पोस्ट .....मैं लिखता हूँ पर आपका स्वगत है

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  2. Beautiful as always.
    It is pleasure reading your poems.

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  3. Replies
    1. इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें .

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  4. बहुत सुन्दर मनो भावों को शब्दों में पिरोती रचना

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  5. मन की मंदी में अपन बोली लगवाने की नौबत आना ... गहरे जज्बात लिए रचना ..

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  6. सटीक बात कहती सुंदर प्रस्तुति

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  7. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  8. धन्यवाद आप सभी का .....आभार

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  9. भटके मन ने ढूंढे ..बचने के सौ रस्ते .. |तोल - मोल के ...नफे नुकसान में ,मन की भी बोली लग गयी .... |
    bahut hi sundar.......

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  10. मन की भी बोली लग गई.... सुंदर मनोभावों को व्यक्त करती रचना.

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  11. धन्यवाद आप सभी का

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