बात थम जाए ...
जब वो पल ,
मिले नसीब में ..
होश में क्यों आये ??
जब वो रहे करीब में |
खामोशियाँ धड़कन की ,
कहीं वो ना सुन ना ले ...
अब ये डर लगता है ,
क्योकिं धडकनों के इस साज में ,
अब बस उनका ही नाम बजता है |
आ ज़रा करीब से ....
खुद को मुझमें समाजा
जाने क्या होगा कल ,
कम - से - कम
एक दूजे के नहीं ... तो ...
एक दूजे के थे , तो कहलायेगे |
बेहद खुबसूरत रचना
ReplyDeletePYAR KA DARD LIYE BAHHOT SUNDER KAVYA RACHNA.
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना !
ReplyDeleteधन्यवाद आप सभी का ....
ReplyDeletenice line dear sampa jee
ReplyDeleteआपका बहुत - बहुत आभार ...
ReplyDelete'made' for each other न सही 'mad' for each other कहलायेंगे |
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