Monday, June 25, 2012

गुलाबो का रंग अभी- भी लाल होता है ...

ये लिखे अल्फाज है , कागजी ...
लेकिन शब्द दिल से निचोड़े गये है .. |

जहाँ कभी अबो हवा भी उनकी मेहक
से भरकर हर नये दिन के साथ ...
नयी उम्मीद दे जाती थी , 
लेकिन अब उस दिल का ...
कोई कदरदान नहीं है ... |

यूँ तो फुल अभी- भी खिलते है ,
गुलाबो का रंग अभी- भी लाल होता है ...
पर उन लाल रंगों में प्यार की खुशबू नहीं है |

जो बचा है , लाल रंग वो तो खून सा लगता है ..
जो टूटकर - अपनी बेचारगी में भी लोगो को हसीं दिखता है |


4 comments:

  1. मन को प्रभावित करती सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,

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  2. bahut khub
    bahut sundar kavita hai....:)
    kaash mujhe bi asi kahni kahni aati..

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  3. जो बचा है , लाल रंग वो तो खून सा लगता है ..
    जो टूटकर - अपनी बेचारगी में भी लोगो को हसीं दिखता है |क्‍या बात हे

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  4. धन्यवाद आप सभी का बहुत - बहुत आभार ...

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