ये लिखे अल्फाज है , कागजी ...
लेकिन शब्द दिल से निचोड़े गये है .. |
जहाँ कभी अबो हवा भी उनकी मेहक
से भरकर हर नये दिन के साथ ...
नयी उम्मीद दे जाती थी ,
लेकिन अब उस दिल का ...
कोई कदरदान नहीं है ... |
यूँ तो फुल अभी- भी खिलते है ,
गुलाबो का रंग अभी- भी लाल होता है ...
पर उन लाल रंगों में प्यार की खुशबू नहीं है |
जो बचा है , लाल रंग वो तो खून सा लगता है ..
जो टूटकर - अपनी बेचारगी में भी लोगो को हसीं दिखता है |
मन को प्रभावित करती सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeletebahut sundar kavita hai....:)
kaash mujhe bi asi kahni kahni aati..
जो बचा है , लाल रंग वो तो खून सा लगता है ..
ReplyDeleteजो टूटकर - अपनी बेचारगी में भी लोगो को हसीं दिखता है |क्या बात हे
धन्यवाद आप सभी का बहुत - बहुत आभार ...
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