हम अपनी जगह है ,
गिरे सावन की थमी,
बूँदों की तरह ,
जो जहाँ गिरे .....
तो खुद को ही छुपा लिया ...|
रूट के हमसे तो खुश है , ख़ुशी ..
जो अब दिलजले कहलाये ,
तो दिल कुछ शुकून पाता है |
ओ साथी ,, तेरे बिना ....
मेरे मन को अब तो ,
छोटी सी दुनिया ही नसीब है ..|
जहाँ सिर्फ
रोशनी नहीं मिलती ,
और साँस लेने की हवा ..
दुसरो से लेनी पड़ती है |
yar tum to ek book publish kar do........
ReplyDeletevery expressive verses...
ReplyDeletesmall world that surrounds us.. confined with in which we spend our lives..
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव,,,,,
ReplyDeleteबस कुछ टाइपिंग की गलतियां खटक रहीं है ठीक कर लीजिए ...
सस्नेह
अनु
SUNDER BHAW LIYE UTTAM RACHNA.
ReplyDeleteवाह जी बल्ले बल्ले
ReplyDeleteक्या कहने
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
धन्यवाद सर :)
ReplyDeleteआप सभी का बहुत - बहुत आभार ....
ReplyDeleteगहरे अहसास लिए...
ReplyDeleteकोमल भाव व्यक्त करती
बहुत सुन्दर रचना...
:-)
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकोमल भाव, गहरी सम्वेदना..
ReplyDeleteभावनात्मक प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कोमल एहसास बढ़िया रचना
ReplyDeleteसुन्दर/कोमल एहसासात.... बढ़िया रचना....
ReplyDeleteसादर।
धन्यवाद आभार ...
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