Tuesday, June 26, 2012

बीते हुए लम्हों की कसक...


जो दिया था तुमने एक दिन ..
हम ना समझे थे ... उन वादों को
लेकिन अब तो चलना होगा,
जुबा पर दर्द ही सजाकर  ... |


बीते हुए लम्हों की कसक...
दिल के टुकड़े कर जाती है,
छुड़ाकर तुमसे ये प्यार का दामन,
भला हम, ख़ुशी लेकर भी करे क्या ??


हाँ ... हैं ये मजबूरी, की कैसे हसें अब ...?
एक अधूरी सी मुलाकात हुई थी जहाँ,
मिलन की घड़ी तो थी पल भर की ...
और बिछड़ने का ग़म हर रात जगाता है |



5 comments:

  1. मस्‍त है ........

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  2. tujh ko khuda khu ya, us khuda ko khuda khu, jb hr kisi m khuda h to, m kis-kis ko khuda khu,///.. hr line m kyamat h, ab ye v bta do ye hunar sikha kha se

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  3. beete hue lamhon kee kasak sath to hogi..khawabo me ho chahe mulakat to hogi ....behtarin rachna..sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath

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  4. आप सभी का बहुत बहुत आभार ....

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