Sunday, June 17, 2012

हुनर हमसे सीखोगे ....

जुबा पे बात क्यों रह जाती है ,
जो कहना चाहते हो कह दे ...
या तो हां होगी या ना ,
अंजाम से क्यों डरते हो ??

छुपाने का अब क्या ??
हुनर हमसे सीखोगे ....
एक हम है , 
जो सब कहकर ..
भी तनहा रह जाते है |

ना समझना कुछ मांगकर 
नज़र नहीं मिला पाओंगे ...
जो बोलोगे कुछ दिल से ..
तभी तो दिल में बस पाओंगे |




5 comments:

  1. ना समझना कुछ मांगकर
    नज़र नहीं मिला पाओंगे ...
    जो बोलोगे कुछ दिल से ..
    तभी तो दिल में बस पाओंगे |

    वाह ,,, बहुत बेहतरीन सुंदर रचना,,,,,

    RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद धीरेन्द्र जी आभार .......

    ReplyDelete
  3. दिल की बात दिल में ही हो तो बेहतर है.... वर्ना ना सूननें की आदत हमारी नही अब दिल में बसाओ या दिमाग में क्‍या फर्क पडता है .......

    ReplyDelete
  4. dhanywad aap sabhika aabhar ...

    ReplyDelete